एम्सटरडम। हॉलैंड की टीम 1974 और 1978 विश्व कप में उपविजेता रही है लेकिन उसे खिताब जीतने का अब तक एक बार भी मौका नहीं मिल सका है। ऐसे में हॉलैंड के दिग्गज खिलाड़ी फीफा विश्व कप-2010 में एक बार फिर खिताबी जीत की आस के साथ दक्षिण अफ्रीका पहुंचेंगे।फुटबाल जगत की तमाम टीमें जानती हैं कि सुपरस्टार रुड वान निस्टेलरू और एडविन वान डेर सार की गौरमौजूदगी के बावजूद कोच बर्ट वान मारविज्क की टीम निसंदेह बेहद प्रतिभाशाली है। आज की तारीख में हॉलैंड की चुनौती का दारोमदार आर्सेनल के लिए खेलने वाले रोबिन वान पर्सी, बेयर्न म्यूनिख के स्टार अर्जेन रोबेन, इंटर मिलान के स्टार वेसले स्नीजडर और रियल मेड्रिड के स्टार खिलाड़ी राफेल वान डेर वार्ट पर होगी।हॉलैंड की टीम जोहान क्रुएफ, रुड गुलिट और मार्को वान बास्टेन जैसे महान खिलाड़ियों द्वारा शुरू की गई मुहिम को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी। हॉलैंड की टीम ने शानदार अंदाज में विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया है और उसके अब तक प्रदर्शन को देखते हुए उसे इस विश्व कप की सबसे सशक्त टीमों में एक माना जा रहा है।क्वालीफाईंग में हालैंड में नौ में से आठ में जीत हासिल की थी। उसने अपने खिलाफ सिर्फ दो गोल होने दिए थे। इस कारण भी हॉलैंड की टीम से ग्रुप स्तर में शानदार प्रदर्शन की आस की जा रही है।हॉलैंड की टीम 2002 विश्व कप में नहीं खेल सकी थी। 2006 में उसे अंतिम-16 दौर से बाहर होना पड़ा था। पुर्तगाल ने एक रोमांचक मुकाबले में उसे पराजित किया था। इसके बावजूद कोच को यकीन है कि उनकी टीम इस बार दक्षिण अफ्रीका में बेहतर प्रदर्शन करेगी।इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।