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संसद में फिर गूंजा फोन टैपिंग का मामला (राउंडअप)

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सुबह राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के सदस्यों ने इस मामले को उठाते हुए हंगामा आरंभ कर दिया।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, "इस सप्ताह की शुरुआत में फोन टैपिंग के संबंध में एक रिपोर्ट आई थी। इस पर गृह मंत्री ने बयान दिया कि वह अधिकृत नहीं है। आज एक रिपोर्ट आई है कि जो कि फोन टैपिंग का अधिकृत मामला लगता है।"

उन्होंने कहा, "सवाल इस बात का है कि प्रधानमंत्री द्वारा किए गए विभागों के बंटवारे में कहीं उद्योगपतियों का हस्तक्षेप तो नहीं रहा है। 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन इससे जुड़ा हुआ लगता है।"

इसके बाद विवाद और बढ़ गया। इस बीच राज्यसभा के सभापति डा. हामिद अंसारी ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की, लेकिन सदस्यों ने उनकी एक न सुनी। उन्होंने प्रश्नकाल का समय बदलने की भी धमकी दी। इसके कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी।

इसके बाद जब सदन दोबारा बैठा तो भी यही हाल रहा। विपक्षी सदस्यों ने इस पर चर्चा की मांग करते हुए फिर से हंगामा आरंभ कर दिया। उपसभापति के. रहमान खान ने इसके मद्देनजर सदन की कार्यवाही 12.30 तक स्थगित कर दी।

उधर, लोकसभा में शून्य काल के दौरान ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के सदस्यों ने इस संबंध में एक समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट की प्रतिलिपि के साथ हंगामा किया।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पास '2जी स्पेक्ट्र से जुड़े करोड़ों के घोटाले' के मामले में केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा के खिलाफ 'ठोस साक्ष्य' हैं।

एआईएडीएमके के नेता एम. थम्पी दुरई ने इस र्पिोट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि 2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े समझौते से सरकारी खजाने को 1,00,000 करोड़ रुपये की चपत लगी है।

वाम दलों और जनता दल (युनाइटेड) के सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ दिए विशेषाधिकार हनन के नोटिस का मामला उठाया। लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा, "मामला विचाराधीन है।" हंगामा बढ़ता देख उन्होंने कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी।

इसके पहले सोमवार और मंगलवार को भी दोनों सदनों को उस समय दिन भर के लिए स्थगित करना पड़ा था, जब नाराज विपक्षी सांसदों ने प्रमुख नेताओं के फोन टैपिग मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराए जाने की मांग को लेकर जम कर हंगामा किया।

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने हालांकि बुधवार को आश्वस्त किया कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) विवाद और फोन टैपिंग के विवाद पर सरकार विपक्ष के साथ चर्चा करेगी।

मुखर्जी ने कहा कि सरकार वित्त विधेयक 2010-11 के पारित हो जाने के बाद इन मुद्दों पर सदन में चर्चा करेगी। वित्त विधेयक बुधवार को सदन में पेश किया गया और उसके बाद उस पर चर्चा शुरू हो गई।

मुखर्जी ने कहा, "इन सभी मुद्दों पर हम विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ चर्चा करेंगे। या तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या मैं खुद सदन में मौजूद रहूंगा। लेकिन यह सब वित्त विधेयक के पारित होने के बाद ही संभव हो पाएगा।"

मुखर्जी ने यह बयान तब दिया, जब आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के सांसद अपराह्न् दो बजे सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास जमा हो गए और स्पेक्ट्रम घोटाले में कथित भूमिका के लिए संचार मंत्री ए.राजा से इस्तीफे की मांग करने लगे।

मुखर्जी ने कहा, "मैं सदन से भाग नहीं रहा हूं। यह सत्र सात मई तक चलेगा। काफी समय है अभी।"

उप सभापति करिया मुंडा ने एआईएडीएमके के सांसदों को शांत कर वापस भेजा और उसके बाद उन्होंने विपक्षी नेताओं को बोलने की अनुमति दी।

नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार सदन में उठाए गए मुद्दों पर सदन के प्रति जवाबदेह है। स्वराज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस जवाब का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने आईपीएल पर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की विपक्ष की मांग पर मीडिया के जरिए बयान दिया था।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति भवन में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा था कि फोन टैपिंग और आईपीएल विवाद जेपीसी के उपयुक्त नहीं हैं।

स्वराज ने कहा, "प्रधानमंत्री की पहली प्राथमिकता सदन को संतुष्ट करने को लेकर है। आप जो भी कहें, सदन में कहें।"

इस पर प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार विपक्ष की मांगों पर विचार करेगी। इस पर स्वराज ने सरकार की नेकनीयती पर सवाल किया। स्वराज ने पूछा, "आपकी सोच क्या है? आपका जवाब क्या है?"

जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव ने कहा, "आईपीएल, फोन टैपिंग और स्पैक्ट्रम स्कैंडल आपस में जुड़े हुए हैं। हम इस संदर्भ में सरकार से कुछ उम्मीद करते हैं।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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