आंख के इशारों से चलेगी कार!
बर्लिन टेम्पलहॉफ एयरपोर्ट के भूतपूर्व रॉल रोजस और फ्रेई यूनिवर्सिटी(एफयू) की आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस टीम के उनके साथियों ने हाल ही में इलेक्ट्रानिक उपकरणों से लैस एक कार को आंखों के इशारों से चलाने का प्रदर्शन करके दिखाया है।
इस प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने 'स्प्रिट ऑफ बर्लिन' नामक वाहन विकसित किया है। इस प्रदर्शन को देखने के लिए दुनिया भर के 60 से ज्यादा पत्रकार एकत्रित हुए ।
एफयू के वैज्ञानिकों ने सेन्सोमोटरिक इन्सट्रमेंट्स के सहयोग से 'स्प्रिट ऑफ बर्लिन' के लिए आंख के इशारे समझने वाला प्रायोगिक सॉफ्टवेयर विकसित किया है।
यह सॉफ्टवेयर चालक की आंखों की हलचल को आंकड़ों में बदलकर स्टीयरिंग व्हील को सिग्नल देता है। इस दौरान वाहन की गति को अलग से नियंत्रित किया जाता है, इसका संबंध आंखों से नहीं रखा गया है।
"फ्री राइड" मोड में चालक के देखने की दिशा का सीधा संबंध स्टियरिंग व्हील मोटर से होता है। जब ड्राइवर दाएं या बाएं देखता है तो स्टियरिंग व्हील भी उसी दिशा में घूम जाता है।
वाहन की गति पूर्वनिर्धारित और स्थिर होती है। किसी स्थिति में यदि वाहन को संकेत नहीं मिलता है कि ड्राइवर किस ओर देख रहा है तो वाहन के ब्रेक स्वचालित रूप से लग जाते हैं।
विरोधाभास पैदा होने पर कार रुक जाती है और चालक से अगला रूट तय करने का निर्देश मांगती है। इसके लिए चालक को अपने मार्ग की ओर करीब 3 सेकेंड तक देखना होता है।
जब अवलोकन का समय पर्याप्त हो जाता है तो आई ड्राईवर साफ्टवेयर ध्वनि के जरिय निर्देश को स्वीकार कर लिए जाने की सूचना देता है।
जब इस वाहन में निर्णय प्लानर के जरिए लिए जाते हैं तो स्प्रिट ऑफ बर्लिन की आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस स्वयं ही रूट का निर्धारण करती है।
रोजस एफयू के इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर साइंस में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के प्रोफेसर हैं। इन्हें अपने फुटबॉल खेलने वाले रोबोट 'एफयू फाइटर्स' के आविष्कार से वैश्विक ख्याति मिल चुकी है। 2006 के बाद से अब वे स्वतंत्र वाहनों से संबंधित तकनीक विकसित करने के लिए अपनी टीम के साथ काम कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।