विपक्ष चिदंबरम के बयान से संतुष्ट नहीं
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता वैंकेया नायडू ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जवाब देना चाहिए था।
नायडू ने संवाददाताओं से कहा, "सरकार की ओर से बयान देर से आया है। मामले के शुरुआत वाले दिन इस पर बयान क्यों नहीं दिया गया? प्रधानमंत्री को जेपीसी के गठन की मांग का जवाब देना चाहिए थे।"
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री को बयान देना चाहिए थे। उन्होंने कहा, "हम गृह मंत्री के बयान से संतुष्ट नहीं हैं।"
उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "बुनियादी सवाल यह है कि विपक्ष सरकार से उत्तर चाहता है या फिर सियासी लाभ हासिल करना चाहता है।"
इससे पहले चिदंबरम ने कुछ राजनीतिज्ञों के फोन कथित तौर पर टैप किए जाने के मसले पर सोमवार को लोकसभा में कहा कि फोन टैपिंग नहीं की गई। चिदंबरम ने अपने बयान में कहा कि देश की एजेंसियां कानून के तहत काम करती हैं। फोन टैपिंग की खबर गलत है।
उल्लेखनीय है कि एक पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव प्रकाश करात और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के टेलीफोन टैप किए गए। इस रिपोर्ट के आने के बाद से विपक्षी दल सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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