'बेनजीर की हत्या रोकने में नाकाम रही मुशर्रफ सरकार' (लीड-1)
उल्लेखनीय है कि 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में एक हमले में बेनजीर की मौत हो गई थी। इस हत्या की जांच संयुक्त राष्ट्र में चिली के राजदूत हेराल्डो मुनोज के नेतृत्व में की गई। जांच आयोग में इंडोनेशिया के राजनयिक मारजुकी दारुस्मान और आयरलैंड के पीटर फिट्जगेराल्ड शामिल थे।
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को यह रिपोर्ट गुरुवार को सौंपी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, "आयोग ने पाया कि बेनजीर भुट्टो के लिए किए गए सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी और अप्रभावी थे।"
इस रिपोर्ट में साफ तौर इस बात का उल्लेख है, "वारदात के दिन बेनजीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संघीय सरकार, पंचाब सरकार और रावलपिंडी की जिला पुलिस की थी। इनमें किसी ने भी सुरक्षा खतरे को देखते हुए जरूरी और त्वरित कदम नहीं उठाए जबकि ये लोग जानते कि बेनजीर को इस तरह के खतरे का सामना करना पड़ सकता था।"
रिपोर्ट के अनुसार, "पाकिस्तान की संघीय सरकार के पास भी बेनजीर की सुरक्षा के लिए सामूहिक योजना का अभाव था। वह पूरी तरह से प्रांतीय अधिकारियों पर निर्भर थी लेकिन वह उन्हें भी जरूरी निर्देश देने में नाकाम रही।"
रिपोर्ट में कहा गया है, "बेनजीर की हत्या की जांच के लिए पुलिस की गंभीरता अपर्याप्त थी और इस मामले में सच्चाई का पता लगाने में स्वतंत्रता की कमी एवं राजनीतिक इच्छा आड़े आ रही थी।"
यही रिपोर्ट 65 पृष्ठों की है। इसमें पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसियों को भी आड़े-हाथों लिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बेनजीर की हत्या राजनीतिक हिंसा के पाकिस्तानी इतिहास के क्रम में हुई और यह बिना किसी भय से अंजाम दी गई।
रिपोर्ट में पाकिस्तानी पुलिस और अधिकारियों की विफलता को दर्शाया गया है। इसमें कहा गया है कि हमले के बाद पुलिस और अधिकारियों की प्रतिक्रिया अप्रभावी थी और हत्या के कारणों को भी छिपाने का प्रयास किया गया।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब प्रांत के अधिकारी और रावलपिंडी की पुलिस बेनजीर की सुरक्षा करने में विफल रही। उनकी सुरक्षा के लिए 1,371 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया जाना था लेकिन पूरी सुरक्षा नहीं मुहैया कराई गई। जांच रिपोर्ट का कहना है कि अगर रावलपिंडी पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए होते तो बेनजीर की हत्या रोकी जा सकती थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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