'भुट्टो की हत्या के लिए मुशर्रफ सरकार जिम्मेदार' (राउंडअप)
संयुक्त राष्ट्र/इस्लामाबाद , 16 अप्रैल (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र की एक जांच रिपोर्ट ने पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के लिए पाकिस्तान सरकार की विफलता को जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का सुरक्षा बंदोबस्त 'पूरी तरह अपर्याप्त और अप्रभावी' था। उसके बाद इस हत्याकांड की जांच में लीपा-पोती भी की गई।
इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र संघ में चिली के राजदूत के नेतृत्व वाला तीन सदस्यीय जांच दल किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया है कि 27 दिसंबर, 2007 की इस घटना के पीछे का सूत्रधार और प्रायोजक कौन था।
65 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि तत्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ की सरकार ने इस घटना के लिए स्थानीय तालिबान कमांडर बैतुल्ला महसूद और अल कायदा को जिम्मेदार बताया था, यद्यपि भुट्टो के दुश्मनों ने व्यवस्था में शामिल तत्वों को इस काम में शामिल कर लिया था।
पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वह रिपोर्ट से संतुष्ट है। लेकिन मुशर्रफ के प्रवक्ता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) राशिद कुरैशी ने इसे एक झूठ का पुलिंदा बताया है।
जांच आयोग ने कहा है, "कई सारे सरकारी अधिकारी पहले तो भुट्टो को बचाने में विफल रहे और दूसरे इस घटना की जांच कर पाने में विफल हुए।"
उल्लेखनीय है कि 27 दिसंबर, 2007 को रावलपिंडी में एक हमले में बेनजीर की मौत हो गई थी।
भुट्टो के पति आसिफ अली जरदारी के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके आग्रह पर पहली जुलाई, 2009 को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र ने अपने हाथ में ली थी।
संयुक्त राष्ट्र ने एक जांच दल गठित किया, जिसमें चिली के राजदूत हेराल्डो मुनोज, इंडोनेशिया के राजनयिक मारजुकी दारुस्मान और आयरलैंड के पीटर फिट्जगेराल्ड शामिल थे।
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को यह रिपोर्ट गुरुवार को सौंपी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, "आयोग ने पाया कि बेनजीर भुट्टो के लिए किए गए सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी और अप्रभावी थे।"
इस रिपोर्ट में साफ तौर इस बात का उल्लेख किया गया है, "वारदात के दिन बेनजीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संघीय सरकार, पंजाब सरकार और रावलपिंडी की जिला पुलिस की थी। इनमें किसी ने भी सुरक्षा खतरे को देखते हुए जरूरी और त्वरित कदम नहीं उठाए जबकि ये लोग जानते थे कि बेनजीर को इस तरह के खतरे का सामना करना पड़ सकता था।"
रिपोर्ट के अनुसार, "पाकिस्तान की संघीय सरकार के पास भी बेनजीर की सुरक्षा के लिए सामूहिक योजना का अभाव था। वह पूरी तरह से प्रांतीय अधिकारियों पर निर्भर थी लेकिन वह उन्हें भी जरूरी निर्देश देने में नाकाम रही।"
रिपोर्ट में कहा गया है, "बेनजीर की हत्या की जांच के लिए पुलिस की गंभीरता अपर्याप्त थी और इस मामले में सच्चाई का पता लगाने में स्वतंत्रता की कमी एवं राजनीतिक इच्छा आड़े आ रही थी।"
रिपोर्ट में पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसियों को भी आड़े-हाथों लिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बेनजीर की हत्या राजनीतिक हिंसा के पाकिस्तानी इतिहास के क्रम में हुई और यह बिना किसी भय से अंजाम दी गई।
रिपोर्ट में पाकिस्तानी पुलिस और अधिकारियों की विफलता को दर्शाया गया है। इसमें कहा गया है कि हमले के बाद पुलिस और अधिकारियों की प्रतिक्रिया अप्रभावी थी और हत्या के कारणों को भी छिपाने का प्रयास किया गया।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब प्रांत के अधिकारी और रावलपिंडी की पुलिस बेनजीर की सुरक्षा करने में विफल रही। उनकी सुरक्षा के लिए 1,371 पुलिस अधिकारियों को तैनात किया जाना था लेकिन पूरी सुरक्षा नहीं मुहैया कराई गई। जांच रिपोर्ट का कहना है कि अगर रावलपिंडी पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए होते तो बेनजीर की हत्या रोकी जा सकती थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।