थरूर ने दी सफाई पर नहीं थमा विवाद (राउंडअप)
लोकसभा और राज्यसभा में शुक्रवार को आईपीएल विवाद पर हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
लोकसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। पहले थरूर के स्पष्टीकरण की मांग पर अड़ा विपक्ष बाद में यह मांग करने लगा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस मामले में कदम उठाएं। प्रधानमंत्री इन दिनों ब्राजील दौरे पर हैं। वह अमेरिका और ब्राजील के दौरे के बाद शनिवार को स्वदेश लौटेंगे, तभी थरूर मामले पर कुछ फैसला लिया जा सकेगा।
इस बीच थरूर ने अपने पर लगे आरोपों को 'निराधार और दुर्भावनापूर्ण' करार दिया। लोकसभा में विपक्ष के हंगामे की वजह से थरूर अपना बयान पढ़ नहीं सके और उन्होंने बयान सदन के पटल पर रख दिया। इसके बाद अपने इस लिखित बयान को उन्होंने मीडिया के सामने पढ़ा।
शुक्रवार सुबह लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने एक स्वर में तत्काल थरूर के बयान की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्य प्रश्नकाल को न चलने देने की जिद पर अड़े थे।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे प्रश्न काल चलने दें और इसके बाद थरूर सदन में आकर स्पष्टीकरण देंगे। लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने भी प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। इसके बाद कार्यवाही दो बजे और फिर सोमवार तक स्थगित करनी पड़ी।
राज्यसभा में भी थरूर विवाद छाया रहा। सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह आरंभ होते ही भाजपा के एस. एस. अहलूवालिया और रविशंकर प्रसाद इस मसले पर बहस की मांग करने लगे। इस दौरान जनता दल (युनाइटेड), समाजवादी पार्टी और असम गण परिषद के सदस्य भी उनके साथ हो लिए।
हंगामे की वजह से पहले सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित की गई। दोबारा कार्यवाही आरंभ होने पर विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सदन के पटल पर थरूर द्वारा रखे बयान को बढ़ा। इस बीच भी हंगामा जारी रहा। इसके बाद उप सभापति के. रहमान खान ने कार्यवाही सोमवार तक स्थगित कर दी।
थरूर और आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी से जुड़ा यह पूरा विवाद पिछले दिनों उस समय खड़ा हुआ जब मोदी ने कोच्चि फ्रेंचाइजी के सभी मालिकों के नाम ट्विटर पर सार्वजनिक कर दिए। इनमें एक नाम सुनंदा पुष्कर का भी था और इसी वजह से थरूर भी विवादों में आ गए। उल्लेखनीय है कि सुनंदा थरूर की करीबी दोस्त हैं और इसे वह खुद स्वीकार चुके हैं।
यह भी आरोप लगाया गया कि कोच्चि टीम की फ्रेंचाइजी रेंदेवू स्पोर्ट्स को दिलाने में थरूर ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया और इस बारे में उन्होंने मोदी को फोन भी किया था। थरूर ने इन बातों को सिरे से खारिज करते हुए सीधे मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी कोच्चि फ्रेंचाइजी को स्वीकृति नहीं देना चाहते थे।
आरोप दुर्भावना से प्रेरित : थरूर
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की कोच्चि फ्रेंचाइजी से जुड़े विवाद में घिरे विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि उन्होंने टीमों की नीलामी प्रकिया के दौरान अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने अपने पर लगे आरोपों को 'निराधार और दुर्भावनापूर्ण' करार दिया।
उन्होंने अपने लिखित बयान को मीडिया के सामने पढ़ते हुए कहा, "केरल की बोली के लिए मेरे परामर्शदाता की भूमिका तिरूवनंतपुरम के सांसद होने के नाते उचित आचरण के दायरे में थी।"
उन्होंने कहा, "विपक्ष के माननीय सदस्यों द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप निरधार और दुर्भावना से प्रेरित हैं। इस मामले में मेरे द्वारा आधिकारिक पद का कोई दुरुपयोग नहीं किया गया।"
मंत्री ने कहा, "बतौर मंत्री मैं नीलामी प्रकिया को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं था। मैंने अपने मंत्रालय के माध्यम से कोच्चि के लिए बोली लगा रहे लोगों को किसी तरह से लाभ नहीं पहुंचाया।"
उन्होंने कहा, "इस बारे में किसी को पता नहीं था कि नीलामी प्रक्रिया में कौन-कौन लोग भाग ले रहे हैं और मेरा आधिकारिक पद ऐसा नहीं है कि मैं केरल की बोली को लाभ पहुंचा सकूं। ऐसे में पद के उपयोग या दुरुपयोग का सवाल नहीं उठता।"
संयुक्त राष्ट्र में वर्षो तक अपनी सेवाएं दे चुके थरूर ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय लोक सेवा में मैंने तीन दशक तक काम किया। इस दौरान मुझ पर कभी वित्तीय अनियमितता और हेरा-फेरी के आरोप नहीं लगे।"
उन्होंने कहा, "कभी-कभी ऐसा लगता है कि इसके पीछे की मंशा विवाद खड़ा करने की थी, जो मुझसे जोड़कर खड़ा किया गया। इस विवाद को खड़ा करने का मकसद कोच्चि फ्रेंचाइजी को अयोग्य ठहराकर इसे केरल से बाहर ले जाना था।"
भाजपा इस्तीफे की मांग पर कायम
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से जुड़े विवादों में घिरे विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर जब तक इस्तीफा नहीं दे देते तब तक संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी।
भाजपा संसदीय दल के उप नेता गोपीनाथ मुंडे ने शुक्रवार को कहा, "हम क्यों थरूर का बयान सुनें? इन्हें पद छोड़ना चाहिए। उनके इस्तीफा देने तक हम सदन की कार्यवाही नहीं चलने देंगे।"
मुंडे ने आरोप लगाया कि थरूर ने कोच्चि फ्रेंचाइजी की मदद के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया और सरकार उनका बचाव कर रही है।
उल्लेखनीय है कि थरूर शुक्रवार को लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से बयान नहीं दे सके और उन्होंने अपना बयान सदन के पटल पर रख दिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।