उचित आचरण के दायरे में थी मेरी भूमिका : थरूर (लीड-1)
लोकसभा में विपक्ष के हंगामे की वजह से थरूर ने अपना बयान सदन के पटल पर रख दिया। इसके बाद अपने इस लिखित बयान को उन्होंने मीडिया के सामने पढ़ा। उन्होंने कहा, "केरल की बोली के लिए मेरे परामर्शदाता की भूमिका तिरूवनंतपुरम के सांसद होने के नाते उचित आचरण के दायरे में थी।"
मंत्री ने कहा, "इस मामले में मेरे द्वारा आधिकारिक पद का कोई दुरुपयोग नहीं किया गया। बतौर मंत्री मैं नीलामी प्रकिया को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं था। मैंने अपने मंत्रालय के माध्यम से कोच्चि के लिए बोली लगा रहे लोगों को किसी तरह से लाभ नहीं पहुंचाया।"
उन्होंने कहा, "इस बारे में किसी को पता नहीं था कि नीलामी प्रक्रिया में कौन-कौन लोग भाग ले रहे हैं और मेरा आधिकारिक पद ऐसा नहीं है कि मैं केरल की बोली को लाभ पहुंचा सकूं। ऐसे में पद के उपयोग या दुरुपयोग का सवाल नहीं उठता।"
थरूर और आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी से जुड़ा यह पूरा विवाद पिछले दिनों उस समय खड़ा हुआ जब मोदी ने कोच्चि फ्रेंचाइजी के सभी मालिकों के नाम ट्विटर पर सार्वजनिक कर दिए। इनमें एक नाम सुनंदा पुष्कर का भी था और इसी वजह से थरूर भी विवादों में आ गए। उल्लेखनीय है कि सुनंदा थरूर की करीबी दोस्त हैं और इसे वह खुद स्वीकार चुके हैं।
कहा यह भी गया कि कोच्चि टीम की फ्रेंचाइजी रेंदेवू स्पोर्ट्स को दिलाने में थरूर ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया और इस बारे में उन्होंने मोदी को फोन भी किया था। थरूर ने इन बातों को सिरे से खारिज करते हुए सीधे मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी कोच्चि फ्रेंचाइजी को स्वीकृति नहीं देना चाहते थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।