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म.प्र. में 3 दिन में 17 फीसदी कुपोषण घटने का 'चमत्कार'

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भोपाल, 11 मार्च (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में मात्र तीन दिन में ही कुपोषण लगभग 17 फीसदी घट गया है। यह कोई और नहीं, बल्कि सरकार की ओर से विधानसभा में पेश किए गए आंकड़े कहते हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 60 प्रतिषत बच्चे कुपोषित हैं, तो महिला बाल विकास विभाग का आंकड़ा सिर्फ 43 फीसदी ही है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-तीन में प्रदेश में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत 60 बताया गया है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा ने भी आठ मार्च को विधानसभा में स्वीकार किया था कि 60 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं मगर 11 मार्च को महिला बाल विकास मंत्री रंजना बघेल ने कुपोषण का प्रतिशत 43 बताया है।

इस तरह सरकार की ओर से पेश किए जाने वाले आंकड़ों के मुताबिक तीन दिन में ही कुपोषित बच्चों की संख्या 17 फीसदी कम हो गई है।

स्वास्थ्य मंत्री मिश्रा ने अपने जवाब में कहा था कि प्रदेश के 60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। इन कुपोषित बच्चों पर मलेरिया, निमोनिया, डायरिया और मीजल्स जैसी बीमारियां जल्दी अपना असर दिखाती हैं।

मिश्रा द्वारा पेश किए गए आंकड़ों में बताया गया कि वर्ष 2005-06 में 30563, वर्ष 2006-07 में 32188, वर्ष 2007-08 में 30397 और वर्ष 2008-09 में 29274 बच्चों की मौतें हुई है। इस तरह हर साल बच्चों की मौत का आंकड़ा 30 हजार के आसपास ही हैं।

वर्ष 2005 से 2009 के बीच कुल एक लाख 22हजार 422 बच्चों की मौतें हुई है। इनमें सबसे ज्यादा 32188 मौतें वर्ष 2006-07 में हुईं है।

मिश्रा ने बच्चों के कुपोषित होने की वजह कम उम्र में मां का विवाह, जल्दी गर्भधारण, नवजात शिशु का कम वजन का होना, संपूर्ण टीकाकरण न होना, छह माह तक शिशु को लगातार स्तनपान न कराना, सही समय पर पोषण आहार न देना, संक्रमण होना और आर्थिक स्थिति कमजोर होना बताया था।

मिश्रा ने आगे अपने उत्तर में कहा था कि कुपोषित बच्चों की पहचान विश्व स्वास्थ्य संगठन के नवीन मापदंडों के आधार पर वजन लेने की प्रक्रिया के आधार पर की जाती है। प्रदेश में कुपोषित 12 लाख बच्चों के लिए 200 पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। आगामी वर्ष 2010-11 में अतिरिक्त 25 पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।

उधर महिला बाल विकास मंत्री रंजना बघेल ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के आधार पर प्रतिमाह बच्चों का वजन लेने का प्रावधान है। अक्टूबर 2009 में लिए गए वजन के मुताबिक प्रदेश में लगभग 56.58 प्रतिशत बच्चे सामान्य श्रेणी के पाए गए, वहीं 43.43 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं। कुपोषित बच्चों में 29. 84 प्रथम श्रेणी, 13.12 द्वितीय श्रेणी और .47 तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कुपोषित हैं।

दोनों मंत्रियों से कुपोषण का सवाल पूछने वाले कांग्रेस के विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि वास्तव में प्रदेश में लगभग 80 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं मगर मंत्रियों के जवाब में 17 प्रतिशत का अंतर सरकार के कामकाज के तरीके को बताने के लिए काफी है। वे कहते हैं कि वास्तविकता को छुपाने की कोशिश या दोनों विभागों के बीच तालमेल की कमी का भी यह उदाहरण है।

सरकार के दो विभागों के जवाब में अंतर की वजह को जानने के लिए जब स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा और महिला बाल विकास मंत्री रंजना बघेल से संपर्क किया गया तो वे उपलब्ध नहीं हुए।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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