जोरों पर है बिहार में जबरन 'आर्शीवाद' देने का रोजगार
पटना, 3 मार्च (आईएएनएस)। आमतौर पर पंडितों के आर्शीवाद के लिए लोगों को मंदिरों या धार्मिक स्थलों पर जाना पड़ता है परंतु बिहार की राजधानी पटना सहित यहां के अन्य प्रमुख शहरों में इसके लिए मंदिरों या धार्मिक स्थलों में जाने की जरूरत नहीं है। रास्ते चलते आपको मंदिर का 'प्रसाद' भी मिल जाएगा और कथित पंडितों का आर्शीवाद भी।
बिहार में 'पंडितों' के लिए यह कोई नया रोजगार नहीं है। यहां यह रोजगार काफी दिनों से फल-फूल रहा है। बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन तथा सार्वजनिक स्थलों पर तो ऐसे पंडितों की संख्या काफी अधिक होती है। ऐसा नहीं कि ये लोग सुबह और शाम ही प्रसाद और तिलक लगाकर आर्शीवाद देते हैं, इनका यह धंधा दोपहर से देर रात तक चलता रहता है। इसके एवज में वे खुलकर दक्षिणा भी मांगते हैं।
ये पंडित दूकानों में भी जाकर दूकानदारों को आर्शीवाद देते हैं। रेलवे स्टेशनों पर तो यात्रा की मंगलकामना कर लोगों से जबरदस्ती दक्षिणा लेते आसानी से देखे जा सकते हैं।
ऐसे ही धंधे से जुड़े रामनिवास मिश्र का कहना है कि वे सच में मंदिर का प्रसाद बांटते हैं। इसके एवज में उन्हें पैसा मिल जाता है, जिससे उनका घर चल जाता है। वह हालांकि यह भी मानते हैं अब इस कार्य में भी गलत लोग प्रवेश कर गए हैं, जिससे लोगों के नजर में यह कार्य ठगी का धंधा बन गया है।
एक अन्य पुजारी का कहना है कि इस काम से उनका परिवार बड़े ठीक ढंग से चल रहा है। उन्होंने बताया कि वे भागलपुर जिले के हैं और इसी धंधे के कारण पटना में रहते हैं।
इधर, एक स्वयंसेवी संस्था से जुड़े सौरभ का कहना है कि बेरोजगारी के कारण लोग इस धंधे से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस धंधे में कोई पूंजी भी नहीं लगता है और लोगों को कम मेहनत पर अच्छी आमदनी हो जाती है। हालांकि वे यह भी कहते हैं सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के अध्यक्ष एवं भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी किशोर कुणाल ने आईएएनएस को बताया कि पहले से इस धंधे में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पर लगाम लगाने की काफी कोशिश की है और कुछ सफलता भी मिली है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।