थरूर ने कहा, नेहरू पर टिप्पणी नहीं की (लीड-1)
साउथ ब्लॉक में रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में थरूर ने कहा, "आठ जनवरी को एक कार्यक्रम में दिए गए मेरे बयान की मीडिया के एक तबके ने गलत और विवादित रिपोर्टिग की।"
वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में लार्ड भीखू पारेख की किताब के विमोचन के बाद थरूर ने शनिवार शाम को कहा था कि नेहरू की विदेश नीति जहां देश को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में नई ऊंचाई तक ले गई वहीं वह आलोचकों की इस बात से भी सहमत हैं कि उनकी नीति के कारण देश की छवि अन्य देशों के आचरण पर नैतिक टिप्पणी करने वाले राष्ट्र के रूप में बन गई।
ब्रिटिश सांसद लार्ड पारेख के संबोधन के बाद थरूर ने यह बात कही थी। पारेख ने कहा था कि नेहरू की नीति ने भारत को 'नैतिक-आत्म धार्मिकता' के परिदृश्य में पेश किया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने मीडिया में आए थरूर के इस बयान की आलोचना की थी।
अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देते हुए थरूर ने कहा, "मैं लार्ड भीखू पारेख की किताब के मुख्य अंशों को संक्षेप में पेश कर रहा था। मैंने कहा था कि हमारी विदेश नीति का विकास हमारी सभ्यता और सभ्यता की अभिव्यक्ति में महात्मा गांधी और नेहरूके अत्यधिक योगदान से हुआ है।"
उन्होंने कहा, "दोनों ने दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया लेकिन दुनिया के मामलों पर नैतिक टिप्पणी करके एक नकारात्मक छवि भी अर्जित की, जो आपके भाषण से बहुत स्पष्ट तरीके से सामने आती है। यह अध्यक्ष के रूप में पेश एक सारांश था जिसे वक्ताओं द्वारा की गई टिप्पणी समझा जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "नेहरू कालीन नीति से इतर भी कुछ चीजें थीं, जिसके आधार पर गोवा में सैन्य बल का प्रयोग किया गया और वह भारत की वास्तविक नीति का एक उदाहरण है।"
उन्होंने कहा, "भारतीय सभ्यता, धर्मनिरपेक्षता और बहुलवाद के बारे में लॉर्ड पारेख के विचारों से मैं सहमत हूं और अपने को कांग्रेस पार्टी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के विचारों से गहराई से जुड़ा हुआ पाता हूं।"
थरूर ने कहा कि कार्यक्रम में मौजूद पेशेवर राजनयिकों में से किसी ने उनके बयान में कुछ गलत नहीं देखा।
जब उनसे पूछा गया कि ताजा विवाद के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनकी बातचीत हुई है तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उनकी कई लोगों से बातचीत हुई है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषक मनु सिंघवी की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा, "मैं सोचता हूं कि आपको कांग्रेस प्रवक्ता से पूछना चाहिए कि बिना तथ्यों की जांच किए उन्होंने बयान क्यों दिया।"
थरूर ने मीडिया को रिपोर्टिग में अधिक सजग और प्रासंगिक होने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "मेरी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया। अधकचरी रिपोर्टिग से मुझे पीड़ा हुई।"
उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक मामलों से जुड़े एक गंभीर देश के रूप में देखा जाना चाहिए, इसमें विचारों की दुनिया भी शामिल है। थरूर ने कहा कि आईसीडब्ल्यू जैसे संस्थानों में भारतीय विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर बिना खुली चर्चा के ऐसे संस्थानों की स्थापना के उद्देश्य को क्षति पहुंचेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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