वैज्ञानिकों ने विकसित की पारदर्शी गोल्डफिश
मी विश्वविद्यालय और नागोया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक संयुक्त दल ने दो वर्ष के शोध के बाद पारदर्शी मछलियां विकसित की हैं। इन मछलियों के अंगों और रक्त को चीड़-फाड़ किए बिना देखा जा सकता है।
कुछ गोल्डफिश का वजन दो किलोग्राम तक हो सकता है और वे प्रयोगों में इस्तेमाल की जाने वाले जेब्राफिश जैसी मछलियों की अपेक्षा बहुत बड़ी होती हैं। मी विश्वविद्यालय की प्रोफेसर युटाका तामारू के मुताबिक गोल्डफिश बड़ी होती है इसलिए उसमें पारदर्शिता विकसित होने पर यह देखा जा सकता है कि किस तरह से बीमारी उनके अंगों को प्रभावित करती है।
उन्होंने कहा कि इससे इन मछलियों में प्रोटीन के निर्माण पर नजर रखी जा सकती है और दवाओं की खोज के अनुसंधान में इसका उपयोग किया जा सकता है। अनुसंधान के लिए जेब्राफिश की अपेक्षा गोल्डफिश का उपयोग करना कम खर्चीला होता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।