किसान आंदोलन उग्र हो सकता हैः टिकैत
अपनी मांगों को लेकर संसद मार्ग पर टिकैत देश भर से आए किसानों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। वह कहते हैं कि कांग्रेसनीत केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार किसानों के प्रति संवेदनशून्य हो गई है। उसके पास किसानों का दर्द सुनने और समझने का समय नहीं है।
संसद का घेराव
टिकैत ने बुधवार को कहा, "जब तक हमारी मांगें मान ली नहीं जाती तब तक हम यही बैठे रहेंगे। हम अपना हक ले जाने आए हैं। गुरुवार को तो संसद का घेराव करेंगे। संसद के अंदर भी सरकार को घेरा जाएगा। वहां जो किसान नेता हैं, वह सरकार पर हमला बोलेंगे।"
यह पूछे जाने पर कि फिर भी यदि सरकार ने आपकी मांगें नहीं मानी तो आपका अगला रुख क्या होगा, इसके जवाब में उन्होंने कहा, "आज किसानों के जो हालात हैं कुछ भी कहा नहीं जा सकता कि क्या होगा। हम सहन करते जा रहे हैं। सहनशक्ति जिस दिन खत्म हो जाएगी उस दिन हालात बेकाबू हो जाएंगे। फिर तो वह संभाले नहीं संभलेगा।"
आंदोलन उग्र रूप ले सकता है
टिकैत कहते हैं, "24-25 नवंबर के बाद हमारा आंदोलन उग्र रूप ले सकता है। फिर स्थिति मेरे नियंत्रण में भी नहीं रहेगी।" वह कहते हैं, "सरकार किसानों को लेकर कितनी संवेदनहीन हो गई है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने अभी तक हमारी सुध नहीं ली। न तो सरकार का कोई मंत्री आया न ही उसका कोई प्रतिनिधि आया। दरअसल, उत्पादों की कीमतें अब उद्योगपति तय कर रहे हैं। किसानों को तो अपने उत्पाद की कीमत तय करने का हक नहीं रहा।"
इंडो-एशियन
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