मेरा पिता ने मुझे लश्कर को बेच दिया था : कसाब
अरुण कुमार
वाशिंगटन, 16 नवंबर (आईएएनएस)। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए तैयबा की ओर से मुंबई पर कहर बरपाने के लिए पाकिस्तान से भेजे गए 10 आतंकवादियों में से जीवित पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल आमिर कसाब का कहना है कि उसके पिता ने उसे लश्कर के हाथों बेच दिया था।
कसाब ने अपने एक साथी के साथ मिलकर मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलियां बरसाकर 50 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और 100 से ज्यादा को घायल कर दिया था। गुरुवार को एचबीओ इस बारे में 'टेरर इन मुंबई' नाम का वृत्तचित्र प्रसारित करने जा रहा है।
इसमें बंदूकधारियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के बीच फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा तथा कसाब के साथ पुलिस का वीडियो फुटेज दर्शाया गया है। रविवार को सीएनएन पर इस वृत्तचित्र की समीक्षा प्रसारित की गई। इसके वर्णनकर्ता फरीद जकारिया हैं।
कसाब से पुलिस की पूछताछ से संबंधित एक टेप में इस बात का उल्लेख है कि वह लश्कर ए तैयबा से कैसे जुड़ गया। इसमें कसाब ने कहा है, "उन्होंने कहा कि वे लोग ढेर सारी दौलत कमाते हैं और तुम भी कमाओगे। (अस्पष्ट) हमारे पास भी दौलत होगी और हम गरीब नहीं रहेंगे। तुम्हारे भाई-बहनों की शादी हो सकेगी। देखो ये लोग कितनी अच्छी जिंदगी बिता रहे हैं। तुम भी उनके जैसे बन सकते हो।"
अज्ञात व्यक्ति ने पूछा, "तुम्हारे पिता ने ऐसा कहा?" कसाब ने कहा, "हां, तो मैंने कहा, ठीक है जो भी हो।"
अज्ञात व्यक्ति ने पूछा, "वे क्या काम करते हैं?" कसाब ने उत्तर दिया, "वह सड़कों पर दही और स्नैक्स बेचते हैं।"
अज्ञात व्यक्ति ने पूछा, "उन्होंने तुम्हें कितना धन दिया? क्या उन्होंने इसे तुम्हारे खाते में जमा कराया?"
इस कसाब ने कहा,"ऐसा कोई खाता नहीं है। उन्होंने पैसा मेरे पिता को दिया।"
अज्ञात व्यक्ति ने पूछा, "उन्होंने कितना पैसा दिया?"
कसाब ने कहा, "मैं नहीं जानता, कुछेक हजार रहे होंगे।"
एक अन्य टेप में कसाब ने बताया कि उसे किस तरह का प्रशिक्षण दिया गया। पुलिस ने पूछा, "तुम्हें कितने अर्से तक प्रशिक्षण मिला?"
कसाब ने कहा, "तीन महीने तक, मेरी कक्षा में 24 या 25 छात्र थे।"
पुलिस ने पूछा, "वे लोग कहां के थे?" कसाब ने कहा, "उन लोगों ने नहीं बताया। मैं सिर्फ एक के बारे में जानता हूं। वह लाहौर का था और वह मेरा दोस्त बन गया था।"
पुलिस ने पूछा, "क्या वे तुम्हें एक-दूसरे से बातचीत करने की इजाजत देते थे?" कसाब ने कहा, "इसकी मनाही थी। वे बहुत सख्त थे। तीन महीने के बाद जाकर उन्होंने कहा कि लड़का अब तैयार है।"
पुलिस ने पूछा, "क्या तुमने कभी पूछा कि जिन लोगों को मैं मार रहा हूं क्या मुझे उन पर तरस नहीं आएगाा?"कसाब ने कहा, "मैंने पूछा ल्ेाकिन उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें आदमी बनना है और जन्नत में जगह हासिल करनी है तो यह तुम्हें करना ही होगा।"
पुलिस ने पूछा, "तो तुम यहां जेहाद के लिए आए थे? यह बात सही है?" इस कसाब ने रोते हुए कहा, "जेहाद क्या है?"
पुलिस ने पूछा, "रोने का कोई फायदा नहीं। मुझे सच बताओ। यह सही है या नहीं?" इस पर कसाब ने कहा, "आप नहीं समझेंगे।"
हमलावरों की पाकिस्तानी आकाओं के साथ फोन पर बातचीत का भी इस वृत्तचित्र में जिक्र है। मुंबई के ट्राइडेंट ओबेरॉय होटल के बाथरूम में बंद फहदुल्लाह नाम का एक अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी जानता था कि उसका अंत करीब है। उसका भोजन, पानी, ऊर्जा और गोला-बारूद सब खत्म हो चुका था और वह सिर्फ पुलिस की गोलियों की आवाज को करीब आते महसूस कर रहा था। वह पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से फोन पर बात कर रहा था। उसने कहा कि वह उसके नौ साथी पिछले 36 घंटे से हत्याएं कर रहे हैं।
पाकिस्तानी आका ने कहा, "याद रहे, तुम उन्हें खुद को गिरफ्तार न करने देना।"
"फरहदुल्लाह, मेरे भाई क्या तुम वहां से बाहर निकलकर संघर्ष नहीं कर सकते?" फरहदुल्लाह ने कहा, "नहीं, मेरे ग्रेनेड खत्म हो चुके हैं।" उधर से आवाज आई, "बहादुर बनो, भाई, घबराओ मत। तुम्हारे मिशन के कामयाबी से संपन्न होने के लिए जरूरी है कि तुम मारे जाओ। अल्लाह तुम्हारी जन्नत में प्रतीक्षा कर रहा है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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