सदन में अव्यवस्था के प्रति चिंतित हैं मीरा कुमार
नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। इस महीने की 19 तारीख से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष मीरा कुमार सदन में अव्यवस्था को लेकर काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि जब लोग लोकसभा में हंगामें और अव्यवस्था को देखते होंगे तो वे क्या सोचते होंगे।
मीरा कुमार ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "मैं यह सोचती हूं कि हमारे लोग क्या सोचते होंगे। क्योंकि वे मतदाता हैं। उन्हें यह लोकतंत्र चलाना पड़ता है। वे इससे सीधे जुड़े हुए हैं।"
उन्हें आश्चर्य होता है कि सांसद इतने उत्तेजित क्यों होते हैं लेकिन उन्हें इस बात का भी एहसास है कि सांसदों पर 'बहुत दबाव' होता है।
वह कहती हैं, "मैं वास्तव में जानना चाहती थी कि कभी-कभी सांसद उत्तेजित क्यों हो जाते हैं। प्रत्येक सम्मानित सदस्य करीब 10-12 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। दुनिया के किसी भी संसदीय लोकतंत्र के सदस्य इतने अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।"
वह सांसदों के दृष्टिकोण को भी समझती हैं। उनका कहना है, "उनसे कई अपेक्षाएं होती हैं। उन पर बहुत दबाव होता है। उनके लिए केवल अपने चुनाव क्षेत्र का ही काम नहीं होता बल्कि वे कई सामाजिक मुद्दों और अंतर्राष्ट्रीय मामलों से भी जुड़े होते हैं।"
यद्यपि, उन्होंने कहा, "लेकिन जब भी मैंने सम्मानित सदस्यों से संसद की गरिमा बनाए रखने की प्रार्थना की है तो उन्होंने ऐसा किया है।"
वर्ष 1985 में लोकसभा के लिए पहली बार निर्वाचित मीरा कुमार इस साल मई में हुए आम चुनाव के बाद देश की 15वीं लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष चुनी की गई। वह चाहती हैं कि संसद में अक्सर खामोश रहने वाले सांसद भी बोलना शुरू करें।
वह कहती हैं, "मैं केवल सब कुछ सुनने के लिए पीछे बैठने वाले खामोश सांसदों को बोलने के लिए प्रेरित करती हूं। यदि मैंने शुरुआत में ऐसा नहीं किया तो वे पूरे पांच साल तक खामोश बैठे रहेंगे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।