सीमा पर शांति का चीन ने किया वादा
रविवार को मीडिया से बातचीत में दलाई लामा की नवंबर महीने में अरूणाचल प्रदेश की प्रस्तावित यात्रा पर पहली बार अपनी सार्वजनिक टिप्पणी में मनमोहन सिंह ने कहा है कि दलाई लामा को भारत एक सम्मानित अतिथि और एक धार्मिक नेता के रूप में देखता है। उल्लेखनीय है कि चीन ने दलाई लामा की अरूणाचल यात्रा का कड़ा विरोध किया है।
दलाई लामा हमारे अतिथि हैं
अपनी दो दिवसीय थाईलैंड यात्रा की समाप्ति के मौके पर प्रधानमंत्री ने बताया कि दलाई लामा की अरूणाचल यात्रा के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, "मैंने चीनी नेतृत्व से दलाई लामा के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मैंने जियाबाओ से कहा है कि दलाई लामा हमारे अतिथि हैं। वह एक धार्मिक नेता हैं।" सिंह ने यह भी कहा कि भारत निर्वासित तिब्बती समुदाय को राजनीतिक गतिविधियों की इजाजत नहीं देता है।
सिंह ने कहा कि चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ शनिवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की हुई बैठक के दौरान तथा थाईलैंड के प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए रात्रिभोज के दौरान हुई काफी स्पष्ट और रचनात्मक बातचीत हुई है। सिंह ने कहा कि दलाई लामा की चर्चा केवल रात्रिभोज के दौरान हुई।
मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्होंने जियाबाओ के साथ शनिवार को द्विपक्षीय बातचीत के दौरान विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। मनमोहन सिंह ने कहा, "जब तक सीमा विवाद का समाधान नहीं हो जाता तब तक सीमा पर शांति और सद्भाव बनाए रखने की जरूरत है।"
दोनों देशों के विदेश मंत्री करेंगे चर्चा
मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेदों पर बेंगलुरू में होने वाली दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान चर्चा की जाएगी। सिंह ने कहा, "दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर एक जटिल समस्या है, जिससे इंकार नहीं किया जा सकता।"
सिंह ने कहा, "हम दोनों इस बात से सहमत हैं कि सीमा विवाद एक जटिल प्रश्न है। लिहाजा सीमा पर शांति बनाए रखना दोनों की जिम्मेदारी है।" मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्होंने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित बांध के मुद्दे पर भी बात की है। इस प्रस्तावित बांध को लेकर भारत के पूर्वोत्तर इलाके में सूखे की आशंकाएं बढ़ गई हैं।
सिंह ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को चीन द्वारा भारतीय पासपोर्ट के बदले एक अलग कागज पर वीजा दिए जाने तथा अरूणाचल के मुद्दे पर उन्होंने कोई बातचीत नहीं की है। उन्होंने कहा, "हमारे बीच सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर सामान्य रूप से चर्चा हुई है। मैंने वीजा के मुद्दे को अलग से नहीं उठाया। लेकिन चाहे वह अरूणाचल प्रदेश हो या जम्मू एवं कश्मीर दोनों भारत के अभिन्न हिस्से हैं।"
नक्सलवाद सबसे बड़ा खतरा
वर्ष 2010 में दिल्ली में होने वाल राष्ट्रमंडल खेलों के मुद्दे पर मनमोहन सिंह ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में थोड़ा विलंब हुआ है, लेकिन इसके बावजूद भारत इन खेलों का 'भव्य' आयोजन कराने में सफल रहेगा। नक्सलवाद के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सलवाद एक सबसे बड़ा खतरा बन गया है। केंद्र व राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे मिलकर इस समस्या से निपटें।
कश्मीर समस्या के व्यावहारिक समाधान के लिए प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक विचारों को एकजुट करने की अपनी इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा, "मैं हुर्रियत के लोगों के साथ दो-तीन बैठकें कर चुका हूं। उन्होंने खास सुझावों के साथ वापस आने का वादा किया है। मैं अभी भी उनका इंतजार कर रहा हूं।"
देश की मौद्रिक नीति पर सिंह ने कहा कि मौद्रिक नीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के विशिष्ट अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने देश की मौद्रिक तथा वित्तीय नीतियां पर संतोष जताया। उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह टिप्पणी करना उपयुक्त नहीं होगा कि मौद्रिक नीति को लेकर कौन से कदम उठाए जाने चाहिए। इन मामलों पर आरबीआई गवर्नर निर्णय लेने के लिए सक्षम हैं।"
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का संकल्प
अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर सिंह ने सभी देशों से वास्तविक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हुए वैश्विक अर्थिक मंदी से सबक लेने की अपील की। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण के विचार पर अमल करके एक व्यापक एशियाई अर्थव्यवस्था समुदाय का गठन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "एशिया वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।" मनमोहन सिंह ने शिखर सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अब खतरे गैर-पारंपरिक स्रोतों से आ रहे हैं।
उन्होंने कहा, "आने वाले दिनों में इन खतरों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत होगी। इसके अलावा हमें सामाजिक समावेश और विकास में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे।" केंद्रीय मंत्री ए राजा के बारे में उन्होंने कहा कि कैबिनेट के किसी सहयोगी के मामले में सार्वजनिक रूप से कुछ बोलना उनके लिए उचित नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।