जलवायु परिवर्तन: भारत-नार्वे में समझौता
पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश और नार्वे की पर्यावरण और अंतर्राष्ट्रीय विकास मंत्री इरिक सोलेहम ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण और सुधार, दीर्घकालीन विकास और स्वच्छ विकास तंत्र परियोजना (सीडीएम) गतिविधियों के कार्यान्वयन के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
सहयोग प्रक्रिया विकसित होगी
यह समझौता क्योटो संधि के तहत स्वच्छ विकास तंत्र के कार्यान्वयन के संदर्भ में जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामले पर तय किए गए सिद्घांतों और लक्ष्यों पर सहयोग प्रक्रिया को विकसित करने की राजनैतिक प्रतिबद्घता को दर्शाता है।
परस्पर सहयोग वाली प्रौद्योगिकी के पेंटेंट या बौद्घिक संपदा अधिकार के मामले में सहभागी दोनों देशों के संबंधित कानूनों के अनुसार बहुत पहले ही काफी सोच विचार कर निर्णय लेंगे। दोनों पक्ष सीडीएम के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रक्रिया आसान बनाने एवं बाजारोन्मुखी बनाने पर साथ मिलकर काम करेंगे।
यह समझौता क्योटो संधि की प्रथम प्रतिबद्घता अवधि यानी 2012 तक लागू रहेगा। समझौते से हटने के लिए संबंधित पक्ष को छह महीने पहले सूचना देना होगा। समझौते में कोई भी संशोधन दोनों पक्षों की लिखित सहमति के बाद ही होगा। समझौते की व्याख्या तथा क्रियान्वयन के दौरान उत्पन्न कोई भी विवाद बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।