भारतीय अदालतों पर भरोसा नहीं: कसाब
कसाब ने उर्दू में अपने हाथों से लिखी यह अर्जी जेल अधिकारियों के जरिए अदालत पहुंचाई। कसाब की उर्दू में लिखी याचिका का मराठी में अनुवाद कराकर अदालत के समक्ष पेश किया गया। न्यायाधीश ताहिलियानी ने कसाब से पूछा कि क्या यह आवेदन उसने लिखा है? जबाव में कसाब ने कहा, 'जी हुजूर'। कसाब की अर्जी के साथ ही जज ताहिलियानी ने सह आरोपी फहीम अंसारी की कार्रवाई पर रोक लगाने की याचिका भी खारिज कर दी।
फहीम अंसारी ने आरोप लगाया था कि साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग सही नहीं है। दोनों याचिकाएं खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा, 'मुकदमे में देरी कराने का आरोपियों का यह एक और प्रयास है।'
अदालती कार्रवाई में अविश्वास जताते हुए फहीम ने आरोप लगाया था कि उसे अपनी पत्नी से नहीं मिलने दिया गया और मामले की कार्रवाई सही तरीके से रिकॉर्ड नहीं की जा रही है।
गौरतलब है कि फ हीम की पत्नी को कार्यवाही में शामिल होने के लिए स्थायी पास जारी किया गया है। फहीम को रोज अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति है। मुलाकात का समय भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहा है। इससे पहले कसाब भी अपना गुनाह कबूल कर चुका है।