प्रणब ने खाद्य कीमत के मोर्चे पर समस्या स्वीकारी (लीड-1)
मुखर्जी ने एक संगोष्ठी के मौके पर संवाददाताओं से कहा, "खाद्य कीमत के मोर्चे पर हमारे सामने कठिनाई है। पिछले सप्ताह के पहले तक डब्ल्यूपीआई का रुझान नकारात्मक था। चूंकि सीपीआई ऊपर जा रहा था, लिहाजा आम उपभोक्ता संतुष्ट नहीं है।"
प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर कोड पर कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में हिस्सा लेने के बाद मुखर्जी ने कहा, "चूंकि हम जरूरी उपभोक्ता व खाद्य वस्तुओं की कीमतों को लेकर चिंतित हैं, लिहाजा दोनों सूचकांकों में यह विरोधाभास चिंताजनक है।"
मुखर्जी ने कहा, "इस समय मैं कमजोर मौद्रिक नीति या ऋण पर प्रतिबंध लगाने की बात स्वीकार नहीं कर सकता, क्योंकि इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।"
मुखर्जी ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान वैश्विक मंदी के असर से घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए दिया गया प्रोत्साहन पैकेज यूरोप और अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुधार होने तक जारी रहेगा।
मुखर्जी ने कहा, "लंदन में हाल में हुए जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमें प्रोत्साहन पैकेज को तब तक समाप्त नहीं करना चाहिए, जब तक कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुधार के स्पष्ट संकेत नहीं दिखने लगे।"
लंदन में चार-पांच सितंबर को जी-20 के वित्त मंत्रियों की बैठक में अमेरिका के पीट्सबर्ग में 24-25 होने वाली समूह की बैठक के बारे में चर्चा की गई। पीट्सबर्ग की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहेंगे।
मुखर्जी ने कहा, "मैं महसूस करता हूं कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार दिखेगा। हमें कुछ और समय तक इंतजार करना पड़ेगा, जैसा कि पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विकास की दर 6.1 फीसदी रही।"
मुखर्जी ने कहा, "बजट प्रस्ताव तैयार करने के वक्त मेरे लिए यह संभव है कि मैं सभी पहलुओं पर ध्यान दे सकूं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।