माया पड़ीं नर्म, विपक्षी दल हुए गर्म
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार को लखनऊ में विभिन्न स्मारक स्थलों पर निर्माण, रखरखाव और मरम्मत के कार्य सहित सभी प्रकार की गतिविधियों को तत्काल रोकने का आदेश दिया। निर्माण संबंधी सभी गतिविधियों को रोके जाने के लिए अदालत द्वारा शुक्रवार को निर्धारित की गई छह घंटे की समय सीमा का पालन करते हुए स्मारक के निर्माण से जुड़ी सभी एजेंसियों ने यह सुनिश्चित कराया कि सभी कार्यो पर समय सीमा के भीतर ही रोक लगा दी गई है।
माया को हटाने की मांग
ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोपहर के करीब राज्य सरकार को अदालती आदेश का उल्लंघन करने के मामले में कड़ी चेतावनी जारी की थी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश सरकार को लगाई गई फटकार का उत्तर प्रदेश के विपक्षी दलों ने स्वागत किया है। राजनीतिक दलों ने मांग की है कि अदालत के आदेश की अवमानना करने वाली मुख्यमंत्री मायावती तत्काल अपने पद से इस्तीफा दें।
प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री मायावती संविधान के अनुरूप काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के अवहेलना करने वाली इस सरकार को तत्काल बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
कानून की धज्जियां उड़ाईं
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की सरकार राज्य में संविधान और कानून की धज्जियां उड़ाती रही है। अदालत का यह फैसला मायावती सरकार के गाल पर कानून का बहुत बड़ा तमाचा है। उन्होंने कहा कि मायावती में जरा-सी भी शर्म हो तो वह अपने पद से तत्काल इस्तीफा दे दें।
भारतीय
जनता
पार्टी(भाजपा)
के
प्रवक्ता
हृदय
नारायण
दीक्षित
ने
कहा
कि
देश
की
सर्वोच्च
अदालत
की
अवमानना
करके
बसपा
सरकार
ने
शासन
करने
का
नैतिक
अधिकार
खो
दिया
है।
उन्होंने
कहा
कि
मायावती
को
अपने
पद
से
त्यागपत्र
दे
देना
चाहिए।
उन्होंने
कहा
कि
राज्य
में
संविधान
के
उपबंधों
के
तहत
शासन
नहीं
हो
रहा
है।
ऐसे
में
केंद्र
सरकार
की
जिम्मेदारी
है
कि
वह
अनुच्छेद
355
के
तहत
राज्य
सरकार
को
नोटिस
दे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।