ठाकरे के विरुद्ध गैर जमानती वारंट
जी हां अपने मुखपत्र सामना में पिछले साल बाल ठाकरे ने बिहारियों पर अशोभनीय टिप्पणी की थी, जिसके खिलाफ उनके खिलाफ बिहार के एक न्यायालय में मुकदमा कायम किया गया। उसी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बाल ठाकरे को तलब किया, लेकिन वो कोर्ट नहीं पहुंचे, लिहाजा उनके खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी कर दिया गया।
आरा के अपर मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी (एसडीजीएम) राकेश पति तिवारी ने शुक्रवार को बाल ठाकरे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। हालांकि वॉरंट अभी तक ठाकरे को नहीं मिला है।
क्या कहा ठाकरे ने
असल में 6 मार्च 2008 को शिवसेना के मुखपत्र सामना में बाल ठाकरे ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर लिखा, "एक बिहारी सौ बीमारी।" इस टिप्पणी पर बिहार के लोगों में पहले से ही खासा आक्रोष व्याप्त है। बिहार के निवासी राजेश कुमार सिंह ने विभिन्न समाचार पत्रों में 6 मार्च 2008 को प्रकाशित एक खबर का हवाला देते हुए बाल ठाकरे के खिलाफ एक परिवाद पत्र दाखिल किया था।
राजेश कुमार के अधिवक्ता आनंद वात्स्यायन ने बताया कि दायर परिवाद पत्र के मामले में जांच के बाद न्यायालय ने बाल ठाकरे के विरूद्घ संज्ञान लेते हुए न्यायालय में उपस्थित होने का सम्मन जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई के बाद न्यायालय ने 7 जुलाई 2009 को बाल ठाकरे के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया गया, परंतु ठाकरे न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। अंत में न्यायालय ने शुक्रवार को बाल ठाकरे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।