जनता के नायक थे डा. वाईएसआर
जब इस साल मई में उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो कांग्रेस के नाम भी एक रिकार्ड जुड़ गया था। 1956 में राज्य के गठन के बाद यह पहला मौका था जब उन्हें राज्य के कांग्रेसी मुख्यमंत्री की हैसियत से पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में कामयाबी मिली। इससे पहले यह सौभाग्य सिर्फ एन.टी. रामाराव को हासिल हुआ था।
नक्सलवाद की सीढ़ तोड़ी
वाईएसआर की एक प्रमुख उपलब्धि थी नक्सलवाद की रीढ़ तोड़ना। कभी राज्य के 23 जिलों में से 21 जिले नक्सलवाद की चपेट में थे, पर वाईएसआर सरकार की सशक्त रणनीति रंग लाई और उग्रवाद हाशिये पर चला गया। इस प्रक्रिया में दबंग उग्रवादी संगठन पीपुल्स वार ग्रुप को पूरी तरह कुचल दिया गया।
रायलसीमा के पिछड़े इलाके से संबंध रखने वाले वाईएसआर ने राजनीति में खूब संघर्ष किया और अंतत: मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे। वह हमेशा विजेता रहे। पांच बार विधान सभा चुनाव जीतने वाले रेड्डी चार बार लोकसभा सदस्य भी रहे। जनता का उन्हें अपार प्यार मिला कि कभी चुनावी नहीं हारे।
नायक जैसी छवि थी रेड्डी की
जनता में उनकी छवि नायक जैसी थी और यही वजह है कि तेदेपा के नेतृत्व वाले गठबंधन एवं लोकप्रिय अभिनेता चिरंजीवी की प्रजा राज्यम पार्टी के नकारात्मक प्रचार के बावूजद उन्हें फिर सरकार बनाने का जनादेश मिला। वह ऐसे वादे नहीं करते थे जो अव्यावहारिक हो।
एक मध्यवर्गीय ईसाई परिवार में 8 जुलाई, 1949 को जन्मे रेड्डी अपने माता-पिता की सबसे बड़ी संतान थे। गुलबर्गा के एम.आर मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में उनकी दिलचस्पी बढ़ गई थी। एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद उन्होंने जम्मालामागुडू मिशन हॉस्पिटल में कुछ समय के लिए चिकित्सा अधिकारी की हैसियत से काम किया।
उन्होंने 1973 में 70 बिस्तरे वाले एक दातव्य अस्पताल की स्थापना की। वर्ष 1978 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और फिर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।