धर्म बदल कर शादी की तो खैर नहीं
विधि आयोग द्वारा भेजी गईं शिफारिशों में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन के बाद की गई शादियों को तबतक मान्यता नहीं दी जाए, जबतक पहली शादी कानूनन खत्म नहीं हो जाए। यानी पहली पत्नी से तलाक नहीं हो जाए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि पहला वैवाहिक गठबंधन जारी है तो धर्म बदल कर किए गए दूसरे विवाह को अपराध करार दिया जाना चाहिए। यही नहीं ऐसा करने वाले के खिलाफ हिंदू मैरेज एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
हिंदी मैरेज एक्ट में संशोधन की सिफारिश
आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस एआर लक्ष्मण ने इसके लिए हिंदू मैरेज एक्ट 1955 में 17ए शीर्षक से नया अधिनियम जोड़ने व भारतीय दंड संहिता की धारा 494-495 के तहत दूसरी शादी को दंडनीय अपराध घोषित करने की सिफारिश की है।
असल में विधि आयोग ने ये सुझाव हिंदू मैरेज एक्ट में संशोधन के लिए ही दिए हैं। आयोग का कहना है कि हिंदू मैरेज एक्ट दूसरी शादी की अनुमति नहीं देता। ऐसे में लोग इस्लाम धर्म अपनाकर दूसरी शादी कर रहे हैं, जोकि पूरी तरह अनैतिक है और इसे रोका जाना चाहिए।