उत्तर प्रदेश में चावल की पैदावार आधी से कम होने की आशंका
अल्प बारिश के कारण बीते हफ्ते प्रदेश सरकार ने तीन चरणों में सूबे के 71 में 58 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया था।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक गत वर्ष प्रदेश में धान का उत्पादन 131 लाख मीट्रिक टन हुआ था, लेकिन इस बार जो हालात हैं उन्हें देखते हुए प्रदेश में केवल 60 लाख मीट्रिक टन ही धान की पैदावार की उम्मीद है।
कृषि वैज्ञानिक के.बी.त्रिवेदी कहते हैं कि प्रदेश के साथ-साथ देश के अधिकांश हिस्सों में धान की फसल वर्षा पर निर्भर रहती है। अगर अच्छी बारिश नहीं हुई तो इसका सीधा असर धान की पैदावार पर पड़ता है।
इसी प्रकार पिछले साल मक्का का उत्पादन 11.5 लाख मीट्रिक टन हुआ था, लेकिन इस बार यह घटकर नौ लाख मीट्रिक टन के करीब रहने का अनुमान है। गत वर्ष 67 हजार मीट्रिक टन उत्पादित होने वाली मूंगफली अब की बार कम होकर 41 हजार मीट्रिक टन होने की उम्मीद जताई जा रही है।
जानकारों के मुताबिक चावल सहित खरीफ की दूसरी फसलों की पैदावार में कमी होने से अरहर की दाल की तर्ज पर इनकी कीमतें भी आम आदमी की पहुंच से बाहर हो सकती है।
इस साल प्रदेश के 50 से ज्यादा जिलों में सामान्य से करीब 70 फीसदी कम बरसात हुई है। चित्रकूट, कन्नौज, रामपुर और एटा जिलों में तो सामान्य से 80 फीसदी तक कम बारिश दर्ज की गई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।