'शिक्षा का अधिकार' विधेयक लोस में पारित
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने छह से 14 वर्ष की उम्र के सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने की व्यवस्था करने वाले इस विधेयक को ऐतिहासिक बताया है। सिब्बल ने कहा, "शिक्षा को सर्वव्यापी बनाने के लिए देश में पहली बार प्रयास किया गया है। जबकि हम इस बारे में पिछले 16 सालों से बात कर रहे हैं।"
शिक्षा का कानूनी अधिकार मिला
सिब्बल ने कहा, "यह हमारे लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि हमने हर बच्चे को शिक्षा का एक कानूनी अधिकार प्रदान किया है।" बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा विधेयक, 2009, राज्यसभा में 20 जुलाई को ही पारित कर दिया गया था। लोकसभा में भी इसे मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के अगुवा सिब्बल ने देश में इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए सभी राज्यों से सहयोग का आह्वान किया है।
प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ वामपंथी पार्टियों की ओर से 20 कटौती प्रस्ताव पेश किए गए थे, लेकिन ये सभी प्रस्ताव सदन पटल पर ढेर हो गए। अब इस विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर लग जाने के बाद यह कानून में परिवर्तित हो जाएगा।
इसमें कोई राजनीति नहीं: सिब्बल
सिब्बल ने कहा, "इसमें कोई राजनीति नहीं है। देश के भविष्य के लिए इसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को एक साझेदारी निभानी है।" सिब्बल ने कहा कि इस विधेयक में 10 ऐतिहासिक बातें शामिल हैं। उन्होंने गिनाते हुए कहा कि इसमें मुफ्त शिक्षा, अनिवार्य शिक्षा, एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर देना शामिल है।
यह विधेयक स्कूलों को भौतिक अधोसंरचना खड़ी करने के लिए तीन वर्ष का समय प्रदान करता है। सिब्बल ने कहा कि देश के सभी स्कूलों को अधोसंरचना की जरूरतें पूरी करनी होंगी और राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे अपने यहां प्रमाणन प्राधिकरण स्थापित करें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।