केंद्र की योजनाओं के प्रति राज्य सरकारें रवैया बदलें : जैन
जैन ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि राज्य सरकारों को योजनाओं के क्रियान्वयन में और बेहतर तरीके अपनाना चाहिए, जिससे उस अंतिम व्यक्ति को इन योजनाओं का लाभ मिल सके जिसके लिए ये योजनाएं बनाई गई हैं।
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के प्रवास पर आए जैन ने कहा कि हमारा देश गांवों में बसता है और ग्रामीण विकास मंत्रालय इन्हीं गांवों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाता है। इन योजनाओं का मकसद गांव के लोगों को मकान और काम दिलाकर स्वावलंबी बनाना है। इसके बावजूद जरूरतमंदों को लाभ हासिल नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए और व्यवस्थित तरीके अपनाने की जरूरत है। उन्हें ऐसी टीमों का गठन करना चाहिए जो लगातार योजनाओं पर नजर रखें और जनता के बीच जाकर जानकारी हासिल करें। साथ ही सोशल आडिट कराया जाए और शिकायतों का निस्तारण हो। ऐसा न होने पर ही जनता राज्य सरकार पर सवाल खड़े करती है।
उन्होंने अपने विभाग की योजनाओं में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) को सबसे महत्वपूर्ण और अपेक्षाकृत सफल योजना करार दिया। इस योजना का मकसद हर हाथ को काम दिलाना, सामाजिक सुरक्षा का भाव पैदा करना है ताकि गांव से लोगों का पलायन रुके और रोजगार को लेकर उनमें सुरक्षा की भावना बढ़े।
उन्होंने अन्य योजनाओं की तुलना में नरेगा को ज्यादा सफल करार दिया। उन्होंने कहा है कि आमआदमी में इस योजना को लेकर उत्साह है। संघीय ढांचे के मुताबिक योजनाओं के संचालन की जिम्मेदारी दोनों सरकारों की अलग-अलग तरह से है। केंद्र सरकार जहां राज्य सरकारों की मांग के अनुरूप योजनाएं स्वीकृत कर धन राशि मुहैया कराती है वहीं राज्य सरकारों पर योजनाओं के क्रियान्वयन के अलावा आमआदमी में विश्वास जगाने की जिम्मेदारी होती है।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि केन्द्र सरकार उस अंतिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर योजना बनाती है जिसको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, मगर राज्य सरकारों के रवैये के कारण केंद्र की मंशा पूरी होने में बाधा आती है।
नरेगा के मामले में मध्य प्रदेश में का उदाहरण देते हुए जैन ने कहा कि यहां यह योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही है, क्योंकि काम की तलाश में मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी है। लोगों के जॉब कार्ड तो बन गए हैं मगर उन्हें काम नहीं मिला है। इतना ही नहीं मर चुके लोगों के भी जॉब कार्ड बना दिए गए हैं। मस्टर रोल खाली पड़े हैं। लोगों को कानून बन चुकी इस योजना के बारे में बताया ही नहीं जा रहा है। यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पलायन रोकने के लिए पहल करे और लोगों को इस कानून के प्रति जागरूक भी करे।
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के नेतृत्व में बुन्देलखंड विकास प्राधिकरण के गठन के लिए हुई पहल के बाद उठे राजनीतिक तूफान पर जैन ने कहा कि वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि दूसरे राजनीतिक दल बुन्देलखंड के विकास के मुद्दे पर हायतौबा क्यों मचाए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि गांधी ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले बुन्देलखंड का दौरा किया था तथा यहां की समस्याओं मसलन पलायन, भुखमरी और बेकारी को करीब से देखकर ही इस क्षेत्र के विकास के लिए प्राधिकरण की पहल की है। बुन्देलखंड का आमआदमी भी चाहता है कि योजनाओं का संचालन केंद्र के नियंत्रण में हो। ऐसा न होने के कारण ही पिछले एक दशक में इस इलाके से पलायन बढ़ा है और किसानों ने आत्महत्या को गले लगाया है। हालत यहां तक पहुंच गई है कि इस इलाके का आदमी यहां रहने तक से डरने लगा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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