हिमाचल में वृक्षों को राखी बांध रही हैं महिलाएं
रेणुका (हिमाचल प्रदेश), 3 अगस्त (आईएएनएस)। वृक्षों की रक्षा के लिए 70 के दशक में 'चिपको आंदोलन' की शुरुआत हुई थी । लेकिन इस बार उनकी हिफाजत के लिए हिमाचल प्रदेश की महिलाओं ने 'रक्षा बंधन अभियान' की शुरुआत की है।
सिरमौर जिले में रेणुका पनबिजली परियोजना के कारण वृक्षों को हटाया जा सकता है। इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भांपते हुए महिलाओं ने वृक्षों की रक्षा के लिए राखी अभियान की शुरुआत कर दी है।
गिरी नदी के तट पर स्थित मोहतू गांव की रूकमणि देवी ने कहा कि वृक्षों को राखी बांधकर हम बांध बनाने वाले अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हम प्रतिदिन 1000 वृक्षों में राखी बांधने का प्रयास कर रही हैं। हम अपने भाइयों को मरने नहीं देंगी।"
एक अन्य ग्रामीण सत्या देवी ने कहा कि पांच अगस्त को रक्षा बंधन के मौके पर हम वृहत स्तर पर वृक्षों को राखी बांधेंगी। उन्होंने कहा, "बांध प्रभावित 37 गांवों में पांच अगस्त को हजारों महिलाएं इस नेक अभियान का हिस्सा बनेंगी।"
सत्या देवी ने कहा, "रक्षा बंधन पर हमारी भूमिका में उलट जाएगी। अभी तक हम अपनी रक्षा के लिए भाई को राखी बांधते आए हैं लेकिन इस बार हम भाई की ही रक्षा के लिए उसे राखी बांधेंगी।"
उल्लेखनीय है कि 2700 करोड़ रूपये की लागत से रेणुका बांध का निर्माण किया जाएगा। इससे दिल्ली को जहां जल मुहैया होगा वहीं 40 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन संभव होगा।
रेणुका बांध जनसंघर्ष समिति के संयोजक योगिंदर कपिला ने आईएएनएस से कहा कि बांध के निर्माण से 37 गांवों के 700 परिवारों का जीवन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा,"सैंकड़ों ग्रामीण इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। इसके विरोध में 400 से अधिक ग्रामीणों ने मई में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया था। छह गांवों में एक व्यक्ति ने भी मतदान नहीं किया।"
'हिमालय नीति अभियान' चलाने वाले पर्यावरण कार्यकर्ता कुलभूषण उपमन्यु ने कहा, "हम विकास के नाम पर किसी भी सरकार को प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने की अनुमति नहीं देंगे।"
दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के प्रबंध निदेशक तरुण कपूर ने कहा कि सरकार प्रभावित लोगों को अधिक से अधिक मुआवजा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, "प्रभावित प्रत्येक परिवार को अन्य आर्थिक लाभों के अलावा सरकार दस वर्षो के लिए 100 यूनिट बिजली मुफ्त में देगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
**