बागमती के तटबंध पर बाढ़ पीड़ितों ने बनाया अस्थाई ठिकाना (लीड-1)
इस बाढ़ से अब तक बिहार के करीब 200 गांवों के एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इनमें से 10 से 15 हजार लोग अपने मवेशी, बची-खुची सम्पत्ति तथा घर का कुछ सामान लेकर तटबंध को अपना ठिकाना बनाए हुए हैं। तटबंध पर पॉलिथीन सीट टांगकर वहीं अपनी जिन्दगी जीने की कोशिश कर रहे हैं।
इस तटबंध पर सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाएं भी बाढ़ प्रभावितों को राहत पहुंचा रही हैं। सीतामढ़ी के लायंस क्लब के अध्यक्ष पी़ क़े चटर्जी ने सोमवार को आईएएनएस को बताया कि हमारी संस्था तटबंध पर आसरा लिए लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर रही है परंतु प्रयास अपर्याप्त सिद्ध हो रहा है।
सुशीला नामक महिला को अब तक बाढ़ राहत के नाम पर कुछ नहीं मिल पाया है। नाव से गए कुछ लोग रविवार की शाम उसे उसके गांव से निकाल तो ले आए परंतु अब वह अपना तथा अपने सात वर्षीय बच्चे का पेट भरने के लिए भोजन का इंतजार कर रही है। यह स्थिति केवल सुशीला की ही नहीं है।
रूनीसैदपुर प्रखंड के कोरियाही गांव निवासी वासुदेव साह का कहना है कि खाने के लिए रविवार को चूड़ा-गुड़ मिला था लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।
उधर जिला प्रशासन का दावा है कि राहत और भोजन सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जा रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।