आवेदकों को तराशने के लिए खुल रहे हैं स्कूल
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंकों में एक एचडीएफसी बैंक की पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक मानसी गुप्ता को जब यह महसूस हुआ कि कॉरपोरेट जगत में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले लोग आत्मविश्वास, संवादहीनता और व्यापार जगत के लिए जरूरी भावभंगिमाओं की कमी के कारण नौकरी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं तब उन्होंने ऐसे लोगों को तराशने के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र खोलने का फैसला कर लिया।
मानसी ने जून में इस तरह का प्रशिक्षण केंद्र शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि उनके बैंक में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले 95 प्रतिशत लोग इंटरव्यू में बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण नौकरी नहीं प्राप्त कर पा रहे थे, लिहाजा उन्होंने उनके व्यक्तित्व विकास के लिए एक स्कूल खोला है।
मानसी ने आईएएनएस को बताया, "मुझे यह देखकर बहुत बुरा लगता था कि आवेदक सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं क्योंकि वे इंटरव्यू लेने वालों को प्रभावित नहीं कर पा रहे थे। मुझे लगा कि ऐसे छात्रों को प्रशिक्षण की जरूरत है। उन्हें यह बताया जाना जरूरी है कि इंटरव्यू का सामना कैसे किया जाता है।"
मानसी ने अपने संस्थान को 'वडर्स वर्थ इंस्टीट्यूट' नाम दिया है। उनका यह संस्थान नौकरी की तलाश में जुटे लोगों को यह सिखाने का प्रयास करता है कि इंटरव्यू के दौरान खुद को कैसे पेश किया जाए।
मानसी के अलावा प्रिया वॉरिक ने भी 'द प्रिया वॉरिक फिनिशिंग' नाम से एक संस्थान खोल रखा है। प्रिया ने हालांकि मानसी से बहुत पहले 1990 में ही इस समस्या को समझ लिया था। उसी साल उन्होंने अपना संस्थान खोला था।
इसके अलावा निशांत सक्सेना 'एलिमेंट अकादमिया' नाम का एक संस्थान चलाते हैं। निशांत मानते हैं कि नए आवेदकों को नौकरी नहीं मिल पाने के पीछे कई कारण होते हैं।
निशांत के मुताबिक लोग प्रश्न को पूरा सुने बिना ही जवाब देने लग जाते हैं, जबकि होना यह चाहिए कि प्रश्न को अंत तक सुना जाए और सोच-समझकर जवाब दिया जाए। इससे अच्छा प्रभाव पड़ता है।
निशांत कहते हैं कि इसके अलावा लोगों को व्यवहार संबंधी दिक्कतें भी आती हैं। कई बार लोग इंटरव्यू के दौरान बहुत सोच में पड़ जाते हैं, जिसके कारण उनका आत्मविश्वास कमजोर पड़ता जाता है। इससे इंटरव्यू लेने वाले पर विपरीत असर पड़ता है और आवेदक को नौकरी मिलने के आसार कम होते चले जाते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।