नेपाल में गायत्री देवी के पितृवंश से जुड़े लोग मुड़ाएंगे सिर
काठमांडू, 1 अगस्त (आईएएनएस)। जयपुर की दिवंगत पूर्व राजमाता गायत्री देवी के पितृवंश से संबंधित कई लोगों ने पूर्वी नेपाल में शुक्रवार को पारंपरिक रूप से अंत्यकर्म की शुरुआत की। हिंदू परंपराओं के अनुसार ये लोग नौ अगस्त को सिर मुड़ा कर राजमाता को अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
भारत में 16वीं सदी के ताकतवर कोच साम्राज्य के वंशज, नेपाल के राजबंशी समुदाय के इन लोगों ने शनिवार को पूर्वी नेपाल के जाफा जिले में गायत्री देवी की स्मृति में एक शोकसभा आयोजित की।
जाफा में एक युवा पत्रकार अवय राजबंशी ने कहा, "चूंकि वह हमारी रानी थीं, लिहाजा हमने यहां अपनी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार आयोजित करने का फैसला किया है।"
भारत की सीमा से लगे जाफा, मोरंग और सुनसारी में लगभग 300,000 राजबंशी निवास करते हैं और भारत के उत्तर बंगाल और असम राज्य में फैले अपने वंशजों से मजबूत जुड़ाव बनाए हुए हैं।
इन वंशजों ने इस बात पर भी दुख जताया है कि अपने जमाने में दुनिया की 10 खूबसूरत महिलाओं में शुमार रहीं गायत्री देवी के निधन की खबर को नेपाली मीडिया में नजरअंदाज किया गया।
राजबंशी ने कहा, "हमने भारतीय मीडिया में प्रकाशित खबरों से राजमाता का चित्र डाउनलोड किया और उसे फ्रेम करा कर आज की शोकसभा में दर्शनार्थ रखा।"
हिंदू मान्यता के अनुसार मृत्यु के 13वें दिन किसी पवित्र स्थल पर अंतिम संस्कार आयोजित किया जाना चाहिए और मृत व्यक्ति की अस्थियां उस दिन किसी नदी में विसर्जित की जानी चाहिए।
राजबंशी ने कहा, "हम एक मृतक कर्म संपन्न कराने के लिए सबसे पहले बिर्तामोद कस्बे में जा रहे हैं। उसके बाद बिरिंग नदी में एक प्रतीकात्मक तर्पण संस्कार संपन्न कराया जाएगा। उसके बाद इस पूरी प्रक्रिया में शामिल हम सभी लोग अपना मुंडन कराएंगे।"
हिंदू परंपराओं के अनुसार पुरुष लोग अपने माता-पिता या उनके समकक्ष किसी व्यक्ति के निधन पर उसके प्रति शोक व सम्मान व्यक्त करने के लिए अपना सिर मुड़ाते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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