नौकरशाह सहित परिवार के 4 सदस्यों को मृत पाया गया (लीड-2)
पांडा (54) भारतीय प्रशासनिक सेवा के उड़ीसा कैडर के अधिकारी थे। वह नई दिल्ली में प्रवासी मामलों के महासंरक्षक के रूप में कार्यरत थे। वह कुछ दिनों पहले ही छुट्टियां बिताने बारगढ़ में अपने गांव देवगांव आए थे।
बारगढ़ के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार बिस्वाल ने आईएएनएस को बताया कि पांडा के अलावा, उनकी पत्नी, पिता और दो बहनों के शव बरामद किए गए हैं।
इस घटना में एक मात्र जीवित बचे पांडा के पुत्र का एक अस्पताल में उपचार चल रहा है। उसे सिर में गोली लगी है। उसकी हालत गंभीर बताई गई है।
इस घटना के बारे में तब पता चला, जब पांडा की मां घर के प्रथम तल से नीचे उतरीं और पीड़ितों को जमीन पर पड़ी पाईं। वह मदद के लिए जोर-जोर चिल्लाने लगीं। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें भी गोलियों की आवाज सुनाई दी थी।
बिस्वाल ने कहा, "पांडा की रिवाल्वर उनके शव के निकट पाई गई है। हमें संदेह है कि संभवत: परिजनों की हत्या करने बाद उन्होंने खुद को गोली मार ली। परंतु मौत के असली कारणों का पता जांच के बाद ही चल पाएगा।"
पुलिस को पांडा के घर से कुछ नोट मिले हैं, लेकिन उनकी प्रामाणिकता की जांच के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
जांच में शामिल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "नोट से संकेत मिलता है कि पांडा अवसाद से ग्रस्त थे।"
पुलिस अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा देवगांव और नई दिल्ली स्थिति पांडा के आवासों पर कथित छापों के बाद से वह तनाव में चल रहे थे। वह अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ चल रहे कुछ संपत्ति विवाद को लेकर भी चिंतित थे।
पांडा नई दिल्ली से सोमवार को भुवनेश्वर पहुंचे थे और शस्त्र की एक दुकान से कोई 40 राउंड गोलियां खरीदी थी। उसके बाद वह एक निजी कार से अपने घर के लिए रवाना हुए थे।
एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से अधिकारी ने कहा है कि पांडा ने अपने गांव के पास हवा में गोलियां दाग कर अपनी रिवाल्वर का परीक्षण भी किया था।
गृह सचिव ए.पी.पाधी ने संवाददाताओं को बताया, "फिलहाल हमारी प्राथमिकता पांडा के बेटे की जान बचानी है।"
पांडा उड़ीसा में जिलाधिकारी, राजस्व विभाग के मंडलायुक्त और विशेष राहत आयुक्त जैसे अहम पदों पर रह चुके थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।