सीमा पार आतंकवाद पर भारत के रुख में बदलाव नहीं : प्रधानमंत्री (लीड-3)

By Staff
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मिस्र में 16 जुलाई को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ बैठक के बाद जारी भारत-पाकिस्तान संयुक्त बयान पर लोकसभा में बुधवार को हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "पाकिस्तान के साथ सार्थक बातचीत तभी हो सकती है जब तक कि वह भारत के खिलाफ आतंकी हमलों के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल न होने देने की अपनी वचनबद्धता को पूरा नहीं करता।"

इससे पहले संसद में विपक्ष और समर्थक पार्टियों ने प्रधानमंत्री पर तीखे प्रहार करते हुए उन पर आरोप लगाया कि वह देश के उस सामूहिक रुख से समझौता कर रहे हैं जिसके तहत सरकार अब तक कहती आ रही थी कि पाकिस्तान जब तक सीमापार आतंकवाद को खत्म नहीं करता तब तक उससे वार्ता नहीं होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, "इस मामले में हमने अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया है।" मनमोहन सिंह ने सदन को आश्वस्त करते हुए और पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में अगर मुंबई जैसा कोई दूसरा हमला होता है तो यह असहनीय होगा और द्विपक्षीय संबंधों को बहाल रखना मुश्किल होगा।

प्रधानमंत्री ने मिस्र के शर्म अल-शेख में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के साथ भेंट के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि विदेश नीति के मामले में आम सहमति की परंपरा को उनकी सरकार ने खंडित नहीं किया है।

संयुक्त बयान में उल्लेखित 'समग्र वार्ता प्रक्रिया को आतंकवाद पर कार्रवाई से अलग रखने' के मसले पर मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान अच्छी तरह जानता है कि आतंकवाद पर कार्रवाई पूर्णरूपेण अनिवार्य है और इसका वार्ता बहाली से कोई नाता नहीं है।

मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ उसी तरह का दृढ़ निश्चय पूर्वी सीमा पर भी दिखाना चाहिए जैसा कि वह पश्चिमी सीमा पर आतंकवदियों के खिलाफ अभियान में दिखा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बारे में पाकिस्तान की ओर से सौंपे गए दस्तावेज में उसने जांच के बाद पहली बार औपचारिक तौर पर स्वीकार किया है कि आतंकी हमले में उसके नागरिक लिप्त हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से सौंपे गए 34 पृष्ठ के दस्तावेज में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी द्वारा की गई जांच की रूपरेखा, उसके विवरण, घटनाक्रम का ब्योरा, प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि, तस्वीरें और इस्तेमाल किए गए संचार उपकरणों की जानकारी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि दस्तावेज में जब्त किए गए साहित्य, अन्य सामान और खुफिया तौर-तरीकों की भी जानकारी दी गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दस्तावेज यह स्थापित करता है कि जांच में यह साबित हुआ है कि हमले के पीछे नि:संदेह लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है और उसी ने हमले के लिए धन मुहैया कराया। "हमें बताया गया है कि जांच पूरी होने वाली है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "ऐसा पहली बार हुआ है कि पाकिस्तान ने किसी आतंकी हमले की जांच के बाद औपचारिक तौर पर हमें जानकारी दी है। उसने पहली बार स्वीकार किया है कि उसके देश में स्थित आतंकवादी संगठन में शामिल उसके नागरिकों ने भारत में जघन्य हमले को अंजाम दिया।"

मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को ऐसी सजा देनी चाहिए जिससे कि लोग सबक ले सकें। उन्होंने जोर दिया कि भारत के लिए चेतावनी बनने वाले सभी आतंकवादी संगठनों को बंद करना होगा।

उन्होंने कहा कि उनके फ्रांस और मिस्र दौरे पर जाने से पहले सौंपे गए दस्तावेज में पाकिस्तान ने इस बात को स्वीकार किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वास्तविकता यह है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पाकिस्तान से जो अपेक्षा कर रही थी, यह कहीं उससे अधिक है।

मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान मसले पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को राजग से नसीहत लेने की कोई जरूरत नहीं है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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