सात समुद्रों के पानी से भी नहीं धुलेगी शर्म अल-शेख की शर्मिदगी : भाजपा
पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने मिस्र के शर्म अल-शेख में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा जारी संयुक्त बयान में शामिल तथ्यों का हवाला देते हुए कहा, "हमलावर और पीड़ित के बीच के अंतर को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।" संयुक्त बयान में दोनों देशों ने आतंकवाद को 'प्रमुख खतरा' स्वीकार किया है।
सिन्हा ने 16 जुलाई को शर्म अल-शेख में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान पर लोकसभा में हो रही चर्चा के दौरान ये बातें कही।
विवादित संयुक्त बयान में दोनों देशों के बीच समग्र वार्ता प्रक्रिया से आतंकवाद के मुद्दे को अलग रखने की बात कही गई है। इसे विपक्ष पाकिस्तान के सामने हथियार डालने जैसा कदम करार दे रहा है।
सिन्हा ने कहा कि 16 जून को पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और 16 जुलाई को गिलानी के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की हुई मुलाकात के बीच आतंकवाद के मुद्दे पर सरकार का रुख पूरी तरह बदल गया।
सिन्हा ने कहा कि 16 जून को येकात्रिनबर्ग में मनमोहन सिंह ने जरदारी से मुलाकात के बाद कहा था कि पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों में नहीं किया जाना चाहिए और एक माह के भीतर यह रुख पूरी तरह बदल गया और इसमें आतंकवाद के मुद्दे को अलग कर दिया गया।
सिन्हा ने कहा, "येकात्रिनबर्ग में प्रधानमंत्री आश्वस्त दिख रहे थे और हमें उन पर गर्व था। लेकिन एक माह के अंदर पूरी तरह से नीति का बदल जाना आश्चर्य की बात है।"
सिन्हा ने संयुक्त बयान में बलूचिस्तान के मुद्दे को शामिल किए जाने पर भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा, "क्यों बलूचिस्तान के मुद्दे को बयान में शामिल किया गया। कागज पर लिखे बयान की स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि पाकिस्तानी नेता बलूचिस्तान में उपद्रव के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने लगे।"
विपक्षी की वाहवाही के बीच सिन्हा ने कहा, "शर्म अल-शेख में मिली शर्मिदगी को सात समुद्रों के पानी से भी नहीं धोया जा सकता।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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