टीआरपी पर शिकंजा कसने की मांग
राज्यसभा में सोमवार को भेजपा नेता ने टेलीविजन चैनलों के कार्यक्रमों में बढती अश्लीलता और फूहड़ता पर अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि आज के दौर में टेलीविजन संचार का एक सशक्त माध्यम है और टीवी पर होने वाली बहसों का स्तर भी बढा है। कई कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं, लेकिन कई चैनल ऐसे भी हैं, जो समाज को भटकाने वाले कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं। असल में उन चैनलों का तर्क होता है, "आज वही दिखता है जो बिकता है।"
चैनल नहीं तय करेंगे देश की संस्कृति
कांग्रेस के ई. नचिप्पन ने कहा कि सभी विकसित देशों में अश्लीलता के खिलाफ कानून हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा उनमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत में भी ऐसा कानून लाया जाना अब जरूरी हो गया है, जो इन टीवी चैनलों को नियंत्रित कर सके। साथ ही माकपा की वृंदा करात ने मीडिया के बेलगाम वर्ग को नियंत्रित करने के लिये एक नियामक प्राधिकरण गठित किये जाने की मांग की।
राज्यसभा में कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने टीवी चैनलों को नियंत्रित करने के लये एक नियामक प्राधिकरण का गठन करने की मांग उठाते हुए कहा कि न्यूज चैनलों को टीआरपी की हर हफ्ते क्यों जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि क्या हमारे देश की संस्कृति वह निजी कंपनी तय करेगी जो टीआरपी का काम करती है और जिसकी लगाम विज्ञापन कंपनियों के हाथों में हैं।