गोर्शकोव पोत खरीदने के औचित्य पर उठे सवाल
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मामले को उठाते हुए माकपा के बासुदेव आचार्य ने कहा, "वर्ष 2004 के जनवरी महीने में गोर्शकोव विमान वाहक पोत की खरीददारी के संबंध में रूस के साथ हस्ताक्षर किया गया था। जब इस संबंध में हस्ताक्षर किया गया था तब उसकी कीमत 87.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर थी। इसको लेकर मोलभाव अभी तक तक जारी है। आज इसका मूल्य 1़ 2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।"
उन्होंने कहा कि जिस विमानवाहक पोत गोर्शकोव को खरीदने के लिए सरकार बेताब है वह पुरानी हो चुकी है और उसकी आधी उम्र भी खत्म हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी गोर्शकोव को खरीदे जाने के औचित्य पर गंभीर सवाल उठाए हैं। ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिकार वह क्यों इस पुराने विमानवाहक पोत को खरीदने के लिए तत्पर है। इस संबंध में रक्षा मंत्री ए़ क़े एंटनी को बयान देना चाहिए।
सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा, "देश के वैज्ञानिक भी इस विमानवाहक पोत को खरीदे जाने के पक्ष में नहीं है। जब इससे आधी कीमत पर और इससे ज्यादा दिनों तक चलने वाले विमान वाहक पोत हम देश में ही बना सकते हैं तो ऐसे में इसे दोगुनी कीमत देकर रूस से खरीदे जाने का कोई औचित्य नहीं है।"
उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा विषय है इसलिए सरकार को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।