कसाब का 'कबूलनामा' रिकार्ड में दर्ज, एफबीआई की गवाही की मांग (राउंडअप)

By Staff
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विशेष न्यायाधीश एम.एल. ताहिलयानी ने यह भी व्यवस्था दी कि 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमलों से जुड़े मुकदमे की सुनवाई पूर्ववत जारी रहेगी।

विशेष लोक अभियोजक उज्जवल निकम ने संवाददाताओं को बताया कि हमलों के दौरान गिरफ्तार एक मात्र आतंकवादी कसाब के कबूलनामे को स्वीकार नहीं किया गया है क्योंकि वह आतंकवादी हमलों की पूरी साजिश से पर्दा नहीं उठा रहा है।

निकम ने बताया, "इसी के आधार पर अदालत ने व्यवस्था दी है कि मुकदमे की सुनवाई पूर्ववत जारी रहेगी। अब तक इस मामले में अभियोजन पक्ष 134 गवाहों के बयान दर्ज करा चुका है और हम अदालत में और भी गवाहों के बयान दर्ज कराएंगे।"

उन्होंने अदालत से अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (एफबीआई) के दल को सम्मन भेजने और उनकी गवाही लेने का आग्रह किया।

निकम ने कहा कि आतंकवादी हमले की जांच में सहयोग करने वाले एफबीआई अधिकारियों की गवाही हमले के पीछे के षडयंत्र को उजागर कर सकता है और कसाब पर शिकंजा कसने में महत्वपूर्ण हो सकता है।

निकम ने ताहिलयानी से आग्रह किया कि एफबीआई दल के जिन छह अधिकारियों के नाम लिफाफे में सौंपे गए हैं, उनका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।

कुछ तकनीकी विशेषज्ञों के साथ इन अधिकारियों ने जांच में सहयोग किया था और इस वर्ष के आरंभ में कसाब से पूछताछ की थी।

इससे पहले सरकार की ओर से नियुक्त किए गए कसाब के वकील एस.जी. काजमी ने मुकदमे से हटने की बात कहकर अदालत में हलचल पैदा कर दी। काजमी ने कहा कि ऐसा लगता है कि उनके मुवक्किल को उन पर भरोसा नहीं है और वह उनकी हिदायतें भी नहीं मानता। ऐसे में उनका इस मुकदमे से हट जाना ही ठीक रहेगा।

हालांकि जब न्यायाधीश ने कसाब से इस बारे में पूछा तो उसने कहा कि उसे अपने वकील पर पूरा भरोसा है। न्यायाधीश और निकम ने काजमी को राय दी कि वह कोई भी कदम उठाने से पहले इस मसले पर कसाब से चर्चा करें। इस पर बचाव पक्ष के वकील सहमत हो गए।

कसाब ने सोमवार को मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका और खुद के पाकिस्तानी नागरिक होने की बात कबूल कर ली थी। कसाब ने अदालत को आतंकी हमलों से जुड़े पूरे घटनाक्रम का खौफनाक विवरण भी बताया था। इन हमलों में विदेशियों सहित 170 से ज्यादा लोग मारे गए थे। बुधवार को कसाब ने अदालत से खुद को फांसी पर लटकाने का अनुरोध किया था।

कसाब ने कहा है कि उसने यह स्वीकारोक्ति स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव या बाहरी प्रभाव से की है। कसाब ने अभियोजन के इस आरोप को भी गलत बताया है कि उसने अपनी सजा कम करवाने के लिए ऐसा बयान दिया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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