म.प्र. में स्वास्थ्य सेवाएं अत्यावश्यक घोषित, 1078 जूनियर डाक्टर निष्कासित
प्रदेश के पांच चिकित्सा महाविद्यालयों के 1500 जूनियर डाक्टर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं। सरकार ने हड़ताल पर जाने वाले जूनियर डाक्टरों को निष्कासित करने की चेतावनी दी थी इसके बावजूद भी वे अपने फैसले पर कायम रहे हैं। इस हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा गई हैं।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा ने मंगलवार को जूनियर डाक्टरों के हड़ताल पर जाने से उत्पन्न हुई स्थिति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में उन्होंने साफ निर्देश दिए कि कोई भी मरीज बगैर इलाज के चिकित्सा महाविद्यालयों के अस्पतालों से न लौटे, इसके माकूल इंतजाम किए जाएं।
प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को अत्यावश्यक घोषित करते हुए इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है। स्वास्थ्य मंत्री ने वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवाओं के इंतजाम करने के भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने विभाग तथा अन्य चिकित्सा संस्थाओं में पदस्थ चिकित्सकों को चिकित्सा महाविद्यालयों में सेवाएं देने को कहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने तो जरूरत पड़ने पर पैरा मिलेट्री और मिलेट्री के स्वास्थ्य अमले की सेवाएं लेने की भी सलाह दी है।
उधर, दूसरी ओर चेतावनी के बावजूद हड़ताल पर जाने वाले 1078 जूनियर डाक्टरों को चिकित्सा महाविद्यालयों ने निष्कासित करने का निर्णय लिया है। भोपाल में 282, जबलपुर में 226, रीवा में 104, इन्दौर में 259 और ग्वालियर में 207 जूनियर डाक्टरों को निष्कासित कर दिया गया है।
जूनियर डाक्टर सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को अत्यावश्यक घोषित करने और चिकित्सा महाविद्यालयों से 1078 जूनियर डाक्टरों को निष्कासित किए जाने के बावजूद अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।