मप्र में मिड डे मील योजना भी नहीं बढ़ा पाई छात्रों की संख्या
आंकड़े बताते है कि वर्ष 2007-08 में बीते वर्ष की तुलना में प्राथमिक कक्षाओं में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या पांच प्रतिशत कम रही है।
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कार्यक्रम के वित्तीय प्रबंधन और क्रियान्वयन में कमियां रही हैं, जिसके चलते छात्रों की संख्या में कमी आई है। लेखा परीक्षा में पाया गया है कि विद्यार्थियों को पर्याप्त मात्रा में भोजन, पक्के रसोईघर, पीने के पानी की सुविधा आदि मूलभूत सुविधाओं की भी कमी रही है।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2003 से 2007 की अवधि में 10 प्रतिशत विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है मगर वर्ष 2007- 08 में पांच प्रतिशत की गिरावट आई है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय जन सहकारिता एवं बाल विकास संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को पोषण आहार भी ठीक नहीं मिला है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में मध्यान्ह भोजन योजना का क्रियान्वयन कमजोर रहा है और मुख्य उद्देश्य प्राप्त करने में नाकाम रहा है। क्योंकि विद्यार्थियों के नामांकन, औसत उपस्थिति में सुधार नहीं हुआ है। इतना ही नहीं वित्तीय प्रबंधन के मामले में स्वीकृत निधियों का उपयोग नहीं किया गया है।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि योजना की सफलता व्यवस्था पर निर्भर करती है। इसलिए जरूरी है कि भोजन की व्यवस्था और आपूर्ति में सुधार लाया जाए। भोजन को पकाने एवं वितरण का कार्य निर्धारित प्रक्रिया के जरिए हो। बालकों के स्वास्थ्य के मानकों के परिवीक्षण के लिए आवश्यक अभिलेख बनाए जाएं और विभिन्न स्तर पर समितियों को सक्रिय किया जाए।
रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है कि स्कूल में आने वाले बच्चों की संख्या में आई गिरावट के कारणों को जानने की भी कोशिश हो। साथ में पढ़ाई में आने वाले व्यवधान को रोकने के भी प्रयास किए जाएं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।