भारत-अमेरिका अंतिम उपयोगकर्ता निगरानी करार से विपक्ष नाखुश (संशोधित)
अमेरिका से खरीदे गए सैनिक साजो सामान के अंतिम उपयोग की पुष्टि करने वाले समझौते पर सोमवार को विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा और भारत यात्रा पर आई अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की मौजूदगी में दस्तखत हुए। इससे दोनों देशों के बीच और रक्षा सौदों का मार्ग प्रशस्त होगा।
इस करार पर दस्तखत के एक दिन बाद विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा में सरकार पर अमेरिकी दबाव के समक्ष समर्पण करने का आरोप लगाया।
भारतीय जनता पार्टी के यशवंत सिन्हा ने शून्यकाल के दौरान यह मसला उठाते हुए सरकार से इस पर वक्तव्य देने की मांग की। उन्होंने कहा कि संसद का सत्र चालू रहने के दौरान सदन को विश्वास में लिए बगैर सरकार को इस करार पर हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए थे।
उन्होंने कहा, "हम अमेरिकी दबाव के समक्ष झुक रहे हैं।"
समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने भी सिन्हा की बात का समर्थन करते हुए कहा कि इस मसले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव ने कहा कि यह मसला किसी पार्टी से नहीं बल्कि देश के राष्ट्रीय हितों से जुड़ा वास्तविक मसला है। उन्होंने कहा, "यह सुरक्षा से जुड़ा बड़ा मसला है। सरकार अमेरिकी विशेषज्ञों को हमारे रक्षा प्रतिष्ठानों के निरीक्षण की इजाजत दे रही है। हर चीज एकदम स्पष्ट होनी चाहिए।"
वामदलों ने भी इस करार पर गहरी आपत्ति व्यक्त की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बासुदेव आचार्य ने कहा कि इस करार पर सदन में चर्चा होनी चाहिए थी जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गुरुदास दासगुप्ता ने इसे महान भूल करार दिया।
जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव ने कहा कि भारतीय विदेश नीति विदेशी ताकत के समक्ष झुक रही है और उन्होंने सरकार से इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बयान देने को कहा।
बीजू जनता दल के भर्तृहरि मेहताब ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह चिंता की बात है कि सरकार ने संसद का सत्र चालू रहते हुए इस पर हस्ताक्षर कर दिए।
सदस्यों की चिंताओं से अवगत होने के बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने स्थान पर खड़े होकर कहा कि सरकार इस बारे में मंगलवार को बयान देगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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