आंध्र सरकार की अधिक सब्सिडी पर वित्त आयोग चिंतित

By Staff
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गरीब से गरीब को खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री वाई.एस.राजशेखर रेड्डी से कहा कि नागरिकों की आय और क्षमता में वृद्धि करना इसका सबसे बेहतर सुरक्षित तरीका हो सकता है।

मुख्यमंत्री,उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए केलकर ने कहा कि सब्सिडी के संसाधनों को इन क्षमताओं के विकास की ओर मोड़ना और उनका सही नियंत्रण और प्रबंधन भी आवश्यक है।

उन्होंने कहा,"आंध्र प्रदेश केंद्रीय खाद्य सब्सिडी का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। इसके अलावा राज्य सरकार चावल की उपभोक्ता कीमत पर भी सब्सिडी दे रही है।

इससे वर्ष 2008-09 के बजट अनुमानों पर 1900 करोड़ रुपये के बोझ का अनुमान है। इसी वर्ष सरकार ने एपी ट्रांस्को (बिजली कंपनी) को 2,385 करोड़ रुपये दिए और फिर कृषि के लिए बिजली पर भी सब्सिडी दी है।"

इससे पहले रेड्डी ने किसानों को मुफ्त बिजली,कर्ज से छूट और सामुदायिक स्वास्थ बीमा योजना 'आरोग्यश्री' और बड़ी सिंचाई परियोजना 'जलयज्ञम' जैसी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र से और अधिक धन के हस्तांतरण की मांग की।

केलकर ने कहा कि वर्ष 2010-15 के लिए राज्य का वित्तीय प्रस्ताव पहली नजर में वित्तीय प्रबंधन के खराब होने का संकेत देता है।

केलकर ने राज्य में गरीब और अमीर जिलों के बीच आय के अंतर पर भी चिंता जताई। एक अप्रैल 2010 को प्रभाव में आने वाले वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि

वैश्वीकरण के युग में भारतीय उद्योगों के बचे रहने के लिए यह आवश्यक है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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