वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भारत की प्रमुख भूमिका : क्लिंटन (लीड-4)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के तहत आने वाले राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र में क्लिंटन ने कहा, "राष्ट्रपति ओबामा और मैंने खाद्य सुरक्षा और भुखमरी के अंत को एक प्रमुख मुद्दे के रूप में लिया है। भारत इसे हासिल करने में हमारी मदद कर सकता है।"
क्लिंटन ने कहा, "भुखमरी और कुपोषण एक बड़ा मुद्दा है। फिलहाल दुनिया में एक अरब लोग भुखमरी के शिकार हैं। यह शांति में खलल डाल सकता है और अस्थिरता को जन्म दे सकता है। हम मानते हैं कि दुनिया में पूरी आबादी का पेट भरने के लायक संसाधन मौजूद हैं।"
क्लिंटन ने आगे कहा, "मैं इस संस्थान में आकर और भारत की साझेदार बन कर प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूं। कृषि में भारत का अनुभव सर्वोत्कृष्ट है। यह अपने क्षेत्रफल के तीन प्रतिशत हिस्से के जरिए दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी का पेट पालता है। भारत का इस मामले में नेतृत्व महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन भारत के साथ कृषि में साझेदार बन कर खुश है।
इससे पहले गुड़गांव के आईटीसी ग्रीन बिल्डिंग में जलवायु परिवर्तन पर एक सम्मेलन में नए जलवायु परिवर्तन समझौते में भारत का सक्रिय सहयोग मांगते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कम कार्बन अर्थव्यवस्था की जोरदार पहल करते हुए भारत को आश्वस्त किया कि वाशिंगटन ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत का विकास अवरूद्ध हो।
क्लिंटन ने कहा, "अमेरिका न तो अभी और न ही भविष्य में ऐसा कुछ करेगा जिससे भारत का विकास सीमित हो। हमारा विश्वास है कि भारत की प्रगति हर किसी के हित में है, यह केवल भारतीयों के हित में ही नहीं है।"
जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में उनके साथ जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के विशेष दूत टाड स्टर्न, भारत में अमेरिका के राजदूत टिमोथी जे.रोमर और दूतावास के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
हिलेरी ने कहा कि लोगों को गरीबी से ऊपर लाने और भारत में जन्मे हर बच्चे को जीने का अवसर देने के लक्ष्य में अमेरिका भारत के साथ है।
ग्रीन गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक अमेरिका की ऐतिहासिक जिम्मेदारी को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि कम कार्बन उत्सर्जन और ऊर्जा की कम खपत के साथ गरीबी से उबरना ही स्थायी विकास का एक रास्ता है।"
क्लिंटन ने कहा , "भारत और अमेरिका एक ऐसी योजना तैयार कर सकते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन, उपभोग और संरक्षण में चमत्कारिक बदलाव आएगा।"
जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष दूत श्याम सरन भी सम्मेलन में मौजूद थे।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के बाद पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश ने गुड़गांव में कहा कि दोनों पक्ष ऊर्जा दक्षता, सौर ऊर्जा, बायोमास, ऊर्जा दक्ष इमारतों और परियोजनाओं में ठोस सहयोग करने पर सहमत हैं।
रमेश ने जलवायु परिवर्तन से मुकाबले और दिसम्बर में कोपेनहेगन शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए भारतीय प्रतिबद्धता के प्रति क्लिंटन को आश्वस्त किया।
इससे पहले क्लिंटन ने वैश्विक आतंकवादी संगठनों, अल कायदा और तालिबान से खतरे की चेतावनी देते हुए उम्मीद जताई कि पाकिस्तान मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमले के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करेगा और इस्लामाबाद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा।
क्लिंटन से जब यह पूछा गया कि क्या वह आशा करती हैं कि पाकिस्तान मुंबई हमले के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा तो उन्होंने कहा,"हमें आशा है कि प्रत्येक देश आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करेगा। हम इसका इंतजार कर रहे हैं और आशा है कि यह होगा।"
उन्होंने वैश्विक आतंकवादी संगठनों, अल कायदा और तालिबान के खतरे का हवाला देते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका जैसे लोकतंत्रों के बीच बढ़ते सहयोग का उल्लेख किया।
क्लिंटन ने कहा कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये में एक बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि "हम न केवल पाकिस्तान की सरकार वरन वहां की जनता में भी इस बात की स्वीकृति देख रहे हैं कि देश के भीतर आतंकवाद उनके देश के लिए खतरा है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।