आतंकवाद पर भारत के रुख में कोई नरमी नहीं : मनमोहन (राउंडअप-इंट्रो)
मिस्र से लौटने के कुछ ही घंटे के भीतर लोकसभा में दिए अपने एक बयान में मनमोहन सिंह ने कहा कि स्थिर और समृद्ध दक्षिण एशिया के दर्शन को साकार करने के लिए बातचीत ही एक मात्र रास्ता है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ अर्थपूर्ण बातचीत तभी संभव हो पाएगी, जब वह आतंकवाद के खिलाफ अपने संकल्प को पूरा कर देगा।
मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ समग्र बातचीत सहित अन्य जरूरी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए उसके द्वारा आतंकवाद के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए।
गिलानी के साथ हुई बातचीत पर जारी संयुक्त बयान को स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "जैसा कि संयुक्त बयान में कहा गया है कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को समग्र बातचीत की प्रक्रिया से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और अन्य घटनाक्रमों के लिए इसका इंतजार नहीं किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि दोनों देश भविष्य के किसी भी आतंकी खतरे के बारे में सही समय तथा विश्वसनीय व कार्रवाई योग्य जानकारी का आदान-प्रदान करेंगे।"
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार पर सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के आगे घुटने टेकने का आरोप लगाते हुए लोकसभा से बहिर्गमन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने गिलानी से यह भी कहा है कि सिर्फ मुंबई आतंकी हमले के कसूरवार लोगों के खिलाफ ही निरंतर, कारगर और विश्वसनीय कार्रवाई की जरूरत नहीं है, बल्कि पाकिस्तान को भारत पर भविष्य में ऐसे हमले रोकने के लिए अपने यहां जारी आतंकी गतिविधियों पर भी रोक लगानी होगी।"
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बातचीत का समय, स्थान और स्वरूप भविष्य की घटनाओं पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि भारत अर्थपूर्ण बातचीत का माहौल तैयार करने की दिशा में पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदम से ज्यादा कदम आगे बढ़ने की इच्छा रखता है।
मनमोहन सिंह ने कहा, "गिलानी ने मुझसे यह भी कहा है कि आतंकी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान में एक सहमति है और यह खुद पाकिस्तान के हित में भी है।"
सिंह ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के बारे में विशेषकर मुंबई हमलों के बारे में भारतीय जनता की भावनाओं से अवगत करा दिया है।
उधर मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पाकिस्तान के आगे घुटने टेकने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को लोकसभा से बहिर्गमन किया।
मनमोहन सिंह द्वारा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ शर्म अल-शेख में हुई अपनी मुलाकात पर लोकसभा में एक बयान पढ़े जाने के तुरंत बाद, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, "आपने आतंकवाद और समग्र बातचीत को अलग-अलग कर दिया है। आपने इस पर निर्णय लेने में सात महीने क्यों लगाए?"
इस पर पूर्व विदेश मंत्री और वर्तमान वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, "यदि विपक्ष चाहता है तो हम इस पर एक व्यवस्थित चर्चा करा सकते हैं। इस सदन में प्रधानमंत्री से उनके बयान पर स्पष्टीकरण मांगने का कोई प्रावधान नहीं है।"
इस पर आडवाणी ने कहा, "हम इस पर एक व्यवस्थित बहस करेंगे, लेकिन विरोध के प्रतीक स्वरूप मैं चाहूंगा कि मेरी पार्टी इस मुद्दे पर सदन से बहिगर्मन करे।"
आडवाणी ने आरोप लगाया कि भारत ने पाकिस्तान सरकार के उस आग्रह के आगे घुटने टेक दिए हैं जिसमें उसने कहा था कि आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई को बातचीत की बहाली प्रक्रिया से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
मनमोहन सिंह और गिलानी के बीच बातचीत की समाप्ति के बाद गुरुवार को जारी संयुक्त बयान को लेकर तमाम लोग चकित रह गए। इससे पहले मनमोहन सिंह ने फ्रांस और मिस्र की अपनी यात्रा पर निकलने के पहले कहा था कि पाकिस्तान के साथ अर्थपूर्ण बातचीत इस्लामाबाद द्वारा मुंबई हमले के आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर निर्भर करेगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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