हिलेरी को दक्षिण एशिया में परमाणु अप्रसार को बढ़ावा देने का सुझाव
वाशिंगटन, 14 जुलाई (आईएएनएस)। अमेरिका के एक शीर्ष हथियार नियंत्रण विशेषज्ञ ने सुझाव दिया है कि विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को अपने भारत दौरे का इस्तेमाल परमाणु अप्रसार और हथियार नियंत्रण को फिर से सर्वोच्च वरीयता देने के लिए करना चाहिए।
डेरिल जी.किम्बल ने पत्रिका 'आर्म्स कंट्रोल टुडे' के जुलाई/अगस्त अंक में एक लेख में कहा है कि दक्षिण एशिया परमाणु संकट के मुहाने पर है। भारतीय सेना और पाकिस्तानी समर्थक बलों के बीच केवल एक दशक पहले ही युद्ध हुआ और दोनों देश परमाणु युद्ध के भी करीब थे।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों का दावा है कि वे केवल न्यूनतम परमाणु प्रतिरोध कायम करना चाहते हैं लेकिन उनके परमाणु और मिसाइल निर्माण की सीमा दिखाई नहीं देती।
किम्बल के अनुसार अपने देश में आतंकवाद से जूझने के बावजूद पाकिस्तान भारत को अपना मुख्य शत्रु मानता है और यूरेनियम संवर्धन क्षमता का विस्तार करने के साथ ही उसने प्लूटोनियम उत्पादन के दो नए संयंत्रों का निर्माण किया है। यद्यपि उसके पास पहले ही 60 से 80 बम बनाने लायक सामग्री है।
किम्बल ने कहा कि पाकिस्तान के पास इसका एक बहाना भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता परमाणु सहयोग है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दी जा रही अरबों डॉलर की सहायता और भारत की ओर से परमाणु सहयोग समझौते के दौरान की व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं के मद्देनजर ओबामा प्रशासन उनके बीच जारी हथियारों की होड़ पर काबू पा सकता है।
उन्होंने कहा कि एक अच्छा कदम यह हो सकता है कि भारत पाकिस्तान और चीन को परमाणु सामग्री का उत्पादन रोकने के लिए आमंत्रित करे। परमाणु सामग्री कटौती संधि (एफएमसीटी) पूरा होना अभी बाकी है। किम्बल ने कहा कि हिलेरी को अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों एजेंडे में सीटीबीटी की शर्त सामने रखने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।