भारत-फ्रांस ने लिया संबंधों को मजबूत करने का संकल्प (राउंडअप)

By Staff
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पेरिस, 14 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 24 घंटों की पेरिस यात्रा के समापन के मौके पर भारत व फ्रांस ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया। दोनों देशों ने उपमहाद्वीप के हालात और पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, ईरान, मध्य पूर्व सहित क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के साथ दोपहर का भोजन करने के बाद प्रधानमंत्री ने पेरिस से विदा लिया और वह गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नैम) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मिस्र के लिए रवाना हो गए।

भारत और फ्रांस शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में करीबी सहयोगी के साथ रणनीतिक साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच रिश्ते में हाल के वर्षो में तेजी के साथ गरमाहट आई है। इन क्षेत्रों में संबंधों की घनिष्ठता और गंभीरता को पहचान देने के लिए नेताओं का वार्षिक शिखर सम्मेलन अब एक परंपरा बन गया है।

फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस पर आर्क डी ट्रिम्फे से पैलेस डी ला कोंकार्ड तक की परेड का नेतृत्व लाल पगड़ी पहने महाराष्ट्र लाइट इंफैन्ट्री के जवानों ने किया। भारतीय नौसेना और वायुसेना के जवानों ने भी परेड में हिस्सा लिया।

फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस परेड के पहले विदेशी मुख्य अतिथि मनमोहन सिंह ने कहा कि इस शानदार परेड से महान राष्ट्र की ताकत और गतिशीलता प्रदर्शित होती है। मनमोहन सिंह ने कहा कि परेड का नेतृत्व करने का मौका भारतीय सेना के जवानों को मिलना भारत का सम्मान है। मनमोहन सिंह ने इस महान अवसर पर भारत को सम्मानित स्थान देने के लिए सरकोजी को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि 14 जुलाई की तिथि केवल फ्रांस के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है। फ्रांसीसी क्रांति विश्व इतिहास के उस क्षण को परिभाषित करती है, जब आम आदमी ने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में केंद्रीय स्थान हासिल करना आरंभ किया था। फ्रांसीसी क्रांति के स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के आदर्श ने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं को भी प्रेरित किया है।

मनमोहन सिंह ने सरकोजी को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया, जिस पर सरकोजी ने कहा कि वह शीघ्र ही भारत का दौरा करेंगे।

भारत 21वीं सदी की एक बड़ी ताकत : सरकोजी

भारत को दुनिया के महान लोकतंत्रों में से एक बताते हुए सरकोजी ने कहा, "भारत 21वीं सदी की एक बड़ी ताकत है और सभी बड़े वैश्विक मुद्दों में इसका शामिल होना आवश्यक है।" सरकोजी ने दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष तथा सैन्य क्षेत्र में सहयोग पर संतोष जाहिर किया।

जी-8 के प्रतिबंध से भारत-फ्रांस परमाणु व्यापार बेअसर :

मनमोहन सिंह और निकोलस सरकोजी के बीच हुई बैठक से पहले भारतीय अधिकारियों ने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों को यूरेनियम संवर्धन और पुर्नसवर्धन प्रौद्योगिकी (ईएनआर) के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाने संबंधी जी-8 देशों की घोषणा का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि इस फैसले का भारत पर कोई व्यावहारिक असर नहीं होगा जो लंबे अर्से से पुर्नसवर्धन करता आ रहा है।

सिंह और सरकोजी की बैठक में अन्य द्विपक्षीय मसलों के अलावा दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई।

उल्लेखनीय है कि फ्रांस 45 सदस्यों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के संगठन (एनएसजी)का सदस्य होने के साथ-साथ जी-8 का पहला ऐसा सदस्य है जिसने पिछले साल 30 सितंबर को भारत के साथ परमाणु कारोबार पर लगी रोक के हटते ही सबसे पहले उसके साथ द्विपक्षीय असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर दस्तखत किए थे।

फ्रांसीसी कंपनी अरेवा के साथ करार अंतिम चरण में है। फ्रांसीसी कंपनी महाराष्ट्र के जैतपुर में 1650 मेगावाट क्षमता वाले दो अत्याधुनिक रिएक्टर तैयार करने के लिए भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड(एनपीसीआईएल) के साथ बातचीत कर रही है। अरेवा के प्रतिनिधियों और एनपीसीआईएल अधिकारियों के बीच बातचीत के कई दौर संपन्न हो चुके हैं।

भारत को विशेषकर फ्रांस से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। फ्रांस के साथ द्विपक्षीय परमाणु करार, भारत से फ्रांस के परमाणु ईंधन को स्वयं परुसशोधित करने का अवसर मिलेगा। फ्रांस ने पेशकश की है कि यदि भारत चाहे तो वह उसके लिए यह काम कर सकता है। समझा जाता है कि रूस ने भी आपूर्ति किए जाने वाले ईंधन का भारत द्वारा पुर्नसशोधन किए जाने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा भारत के पास स्वयं की ईएनआर प्रौद्योगिकी है। ऐसे में जी-आठ के प्रतिबंध का उस पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी सोमवार को संसद में कहा था कि भारत को जी-8 के इस रुख से चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसे आईएईए और एनएसजी से छूट मिल चुकी है।

आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाएंगे भारत-फ्रांस :

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे सहित विस्तृत मुद्दों पर चर्चा के दौरान द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दोहराया।

पेरिस में दोपहर भोज के दौरान दोनों नेताओं ने भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक और मध्य पूर्व की स्थिति सहित अन्य क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।

आतंकवाद के सफाए के लिए सहयोग मजबूत करने की आवश्यकता को देखते हुए दोनों नेताओं ने इस क्षेत्र में सहयोग और बढ़ाने का वादा किया।

भारत-फ्रांस रिश्तों की नई इबारत :

फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस यानी 'बास्तील दिवस' पर आयोजित समारोह में पहले विदेशी शासनाध्यक्ष के रूप में हिस्सा लेकर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को भारत व फ्रांस के रिश्तों की नई इबारत लिखी।

इस आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे मनमोहन सिंह का राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने साथ बैठकर बास्तील दिवस परेड के कार्यक्रमों का आनंद लिया। दोनों नेताओं के पीछे उनकी पत्नियां भी बैठी थीं।

भारतीय सुरक्षा बलों के 400 से अधिक जवानों ने ऐतिहासिक चैम्प्स एलीसीस में आयोजित इस समारोह में मार्च किया।

भारत के तीनों सेनाओं के जवान पारम्परिक वेशभूषा में पाइप और बैंड के साथ 'कदम कदम मिलाए जा' की धुन पर ताल मिला रहे थे। थल सेना के जवानों की कमान कैप्टन विवेक खंडूरी, वायु सेना के जवानों की कमान स्क्वे ड्रन लीडर आलोक शर्मा और नौ सेना की कमान कमांडर राजीव शर्मा ने संभाली। तीनों सेनाओं ने मनमोहन सिंह और सरकोजी को सलामी भी दी।

भारतीय सेना में मराठा लाइट इंफेंट्री के जवान भी शामिल हुए, जो देश की चर्चित और सबसे पुरानी सेनाओं में शुमार है। इस सेना के जवानों ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था।

मनमोहन सिंह अपने फ्रांस दौरे पर सोमवार की शाम पेरिस पहुंचे जहां न्याय मंत्री मिशेल एलियट मेरी ने उनका स्वागत किया।

मुंबई दस्तावेजों का अध्ययन कर रहा भारत :

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ यात्रा कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने मिस्र में भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की बैठक से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि भारत अभी भी पाकिस्तान द्वारा सौंपे गए मुंबई हमले की जांच से संबद्ध दस्तावेजों का अध्ययन कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री रहमान मलिक ने भारतीय उच्चायुक्त मनप्रीत वोरा को देर शनिवार ये दस्तावेज सौंपे।

मिस्र में गुट निरपेक्ष देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान मंगलवार शाम को होने वाली विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और पाकिस्तानी विदेश सचिव सलमान बशीर की बैठक में मुंबई हमला तो महत्वपूर्ण होगा ही, इसके साथ ही भारत आतंकवादियों और भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों का मसला भी उठाएगा।

इसके बाद गुरुवार 16 जुलाई की सुबह दोनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और मनमोहन सिंह की बैठक होगी जो भविष्य में दोनों देशों के संबंधों का रुख तय करेगी।

अधिकारी ने कहा कि स्थिति का अनुमान पहले नहीं लगाया जा सकता लेकिन पाकिस्तान ने कुछ कदम उठाए हैं लेकिन वे किस तरह के हैं इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

मुंबई हमलों के आरोपी हाफिज मुहम्मद सईद को आतंकवादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव हो या नहीं, पाकिस्तान की जिम्मेदारी है कि वह आतंकवाद में शामिल हर व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करे।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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