पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में लाए जाएंगे 4 बाघ
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में जहां वर्ष 2004 में 34 बाघ होने का अनुमान था वह 2006 में घटकर 24 रह गया था। केन्द्रीय जांच दल द्वारा अप्रैल 09 में इस उद्यान में एक भी बाघ न होने और इसे देश का दूसरा सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान बताए जाने से प्रदेश सरकार और वन विभाग की नींद उड़ गई थी। उसी के बाद से वन विभाग पन्ना राष्ट्रीय उद्यान को लेकर गंभीर है और वह बाघों की संख्या बढ़ाने की कोशिश में लग गया है।
पिछले दिनों बान्धवगढ़ और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से यहां दो बाघिनें लाई गई थीं। बाघों की संख्या बढाने के लिए अब चार बाघ अथवा बाघिन लाई जाना है। प्रदेश के वन राज्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बाघों की संख्या बढ़ाए जाने के लिए चल रही कोशिशों का सोमवार को विधानसभा में ब्यौरा दिया।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की संख्या कम होने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण वर्षो से बाघों के प्रजनन का अभाव तथा नर -मादा अनुपात में विकृति होना है। वहीं भारत सरकार द्वारा गठित जांच दल ने अवैध शिकार को बाघों के खत्म होने का कारण बताया था। शुक्ल ने कहा है कि केन्द्र सरकार की इस रिपोर्ट का परीक्षण कराया जा रहा है और प्रदेश सरकार जल्दी ही अपना जवाब केन्द्र को भेज देगी। राज्य सरकार ने बाघों के विलुप्त होने के जैविक व प्रशासनिक कारणों का अध्ययन करने के साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति न हो इसके लिए एक समिति का गठन किया है।
वन मंत्री ने अभी हाल ही में केन्द्रीय वन मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि देश के 37 बाघ संरक्षित राष्ट्रीय उद्यानों में से 16 में बाघ विलुप्त होने की कगार पर है। शुक्ल ने आगे कहा कि वे बाघों की कम होती संख्या को लेकर चिन्तित है। साथ ही इन्हें बचाने के लिए प्रयास भी कर रहे है। वे यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि प्रदेश के सभी राष्ट्रीय उद्यानों में बाघों की स्थिति ठीक नहीं है। उन्होनें कहा कि केन्द्रीय मंत्री भी प्रदेश के कान्हा, बान्धवगढ़ एवं पेंच राष्ट्रीय उद्यान की प्रशंसा कर चुके है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस ।
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