नेहरू स्मृति पुस्तकालय व संग्रहालय का विवाद प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा
राजमोहन गांधी, सुनील खिलनानी, संजय सुब्रमण्यम, रामचंद्र गुहा, नयनजोत लाहिड़ी, सुमित सरकार, कृष्ण कुमार, प्रथा चटर्जी, सुगता बोस, जोया चटर्जी, निवेदिता मेनन, रुकुन आडवाणी, महेश रंगराजन और मुशीरुल हसन जैसे 57 अध्येताओं के एक समूह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे एक खुले पत्र में एनएमएमएल की कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए आग्रह किया है।
जून महीने में भेजे गए अपने पत्र में इन अध्येताओं ने कहा है, "वर्ष 1990 तक एनएमएमएल अध्ययन व शोध का एक विश्वस्तर का केंद्र और जवाहरलाल नेहरू का एक मूल्यवान स्मारक था। हाल के वर्षो में यह संस्थान असहयोग व दुर्व्यवस्था की संस्कृति के गिरफ्त में आ गया है।"
अध्येताओं ने कहा है कि पुस्तकालय का प्रकाशन कार्यक्रम अनियमित हो गया है, दुर्लभ मूल कृतियों और मौखिक इतिहासों के अधिग्रहण का काम रुक गया है और इसने राजनीतिक उपयोग और दुरुपयोग के लिए अपने दरवाजे को खोल कर अपने निष्पक्षता के सिद्धांत को ताक पर रख दिया है।
प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास भी है।
इतिहासकार, समाज विज्ञानी और लेखक रामचंद्र गुहा से संपर्क करने पर उन्होंने आईएएनएस से कहा कि प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र के अंशों को प्रकाशित किया जाए, क्योंकि वह पत्र संस्थान के वर्तमान हालात की पूरी तस्वीर प्रस्तुत करता है।
पत्र में मांग की गई है कि संस्थान की वर्तमान निदेशक मृदुला मुखर्जी का कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो जाने के बाद उनके बाद आने वाले निदेशक का चयन एक खुली व पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया जाना चाहिए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।