दुनिया की 'जी' व्यवस्था : जी5, जी8, जी14, जी20
ल'अक्वि ला, 10 जुलाई (आईएएनएस)। इसे दुनिया की नई 'जी' व्यवस्था कहा जा सकती है, जहां विभिन्न देश अपनी अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक स्थितियों का बयान करते हैं।
इस 'जी' क्रम में हाल में शामिल हुआ समूह जी14 है। इस समूह का जिक्र जी8-जी5 शिखर सम्मेलन के दौरान पहली बार आया।
जी14 एक ऐसा नया समूह है, जो जी8, जी5 और मिस्र को मिला कर अस्तित्व में आया है। जी8-जी5 सम्मेलन की संयुक्त घोषणा वास्तव में जी14 की घोषणा है। मिस्र को सम्मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
दुनिया के अति संपन्न और औद्योगीकृत देशों को मिलाकर वर्ष 1975 में जी7 का गठन किया गया था। कुछ वर्ष पहले इस समूह में रूस को शामिल किया गया और अब इस समूह को जी8 के नाम से जाना जाता है।
जी8 में मुख्यरूप से विकसित देश शामिल हैं। यह न कोई अंतर्राष्ट्रीय संगठन है और न इसके पास कोई स्थायी सचिवालय व प्रशासनिक कर्मचारी ही हैं। यह कुछ इस तरह की प्रक्रिया है, जो एक वार्षिक सम्मेलन में पूरी हो जाती है। इस सम्मेलन में सदस्य देशों की सरकारों के प्रमुख वैश्विक मुद्दों के समाधान तलाशने के लिए आपस में चर्चा करते हैं।
इटली ने वर्ष 2009 के जी8 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की है। इस समूह की अध्यक्षता फिलहाल इटली के पास है।
जी5 विकासशील देशों का समूह है। इसमें ब्राजील, चीन, भारत, मेक्सिको और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
ल'अक्वि ला शिखर सम्मेलन और जी8 व जी5 द्वारा की गई इसकी संयुक्त घोषणा ने यह स्पष्ट किया है कि दुनिया के अति विकसित देशों ने जी5 को गंभीरता से लिया है।
संयुक्त राष्ट्र सहित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व अन्य संस्थानों के पुनर्गठन, वैश्विक वित्तीय संकट से उबरने के लिए की जाने वाली कार्रवाई के दौरान विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखने व खाद्य सुरक्षा व जलवायु परिवर्तन की चिंताएं जैसी जी5 की मांगों को इस बार संयुक्त घोषणा पत्र में शामिल किया गया है।
वर्ष 1999 में गठित एक अन्य समूह जी20 इस वर्ष अप्रैल महीने में अपने लंदन शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा में था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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