बाबरी विध्वंस मामले से जुड़े दस्तावेजों के गुम होने की जांच के आदेश
लखनऊ, 10 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद से संबंधित 23 फाइलों के गुम होने के मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। इस बीच दस्तावेजों के गुम होने के संबंध में पुलिस में भी मामला दर्ज कराया गया है।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, "भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी आनंद कुमार को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उन्हें 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।"
फाइलों के गुम होने के संबंध में शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया जबकि जांच के आदेश गुरुवार रात को दिए गए।
विवादित स्थल पर अयोध्या में मुगल काल में बनी बाबरी मस्जिद से पहले भगवान राम का मंदिर था कि नहीं, इस विवाद को लेकर चल रहे मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा पिछले दिनों सख्त रवैया अपनाए जाने के बाद राज्य सरकार ने यह फैसला किया है।
न्यायमूर्ति रफत आलम की अध्यक्षता में इस तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता को तलब किया था और पूछा था, "फाइलें कहां हैं। क्या वे गुम हो गई हैं?"
इससे पहले बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और जानेमाने वकील जफरयाब जिलानी ने अदालत से कहा था कि जो फाइलें गायब हुई हैं, वे इस मामले की जांच के लिए बिल्कुल प्रासंगिक हैं।
अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक जो दस्तावेज गायब हुए हैं उनमें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को लिखा गया वह पत्र भी है, जिसमें उन्होंने भगवान राम की मूर्ति को तत्काल हटाने को कहा था।
गायब हुए दस्तावेजों में फैजाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी के. के. के. नायर का वह पत्र भी शामिल है जो उन्होंने राज्य सरकार को लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि वे विवादित स्थल से भगवान राम की मूर्ति हटाने और वहां साधुओं को भजन कीर्तन करने से रोकने में असमर्थ हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।