ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की सीमा पर जी-8 देश सहमत नहीं (लीड-1)

By Staff
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ल'अक्विला, 9 जुलाई (आईएएनएस)। दुनिया के सबसे धनी और विकसित देशों का संगठन जी-8 ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की सीमा निर्धारित करने की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं (जी-5) की मांग पर प्रतिबद्ध होने के लिए तैयार नहीं है।

यद्यपि जी-8 और जी-5 कई वैश्विक मुद्दों पर एक संयुक्त घोषणा करने को तैयार हो गए लेकिन उस दस्तावेज में उत्सर्जन में कटौती या उसकी समय सीमा का कोई उल्लेख नहीं है।

जी-5 देशों की मांग है कि वर्ष 2020 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 40 प्रतिशत और 2050 तक 80 प्रतिशत की कटौती की जाए। परंतु विकसित देश वर्ष 2050 तक उत्सर्जन में केवल 50 प्रतिशत की कटौती करने को तैयार हैं।

सभी देशों से उत्सर्जन में कटौती करने की इस मांग का प्रस्ताव लाने के लिए इस वर्ष कोपेनहेगेन में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण सम्मेलन होने वाला है।

संयुक्त घोषणा पत्र में कहा गया है,"हम कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा तकनीक को बढ़ावा और ऊर्जा सुरक्षा को प्रोत्साहन देंगे।"

परंतु उत्सर्जन सीमा लागू करने को लेकर दोनों देशों में मतभेद हैं।

जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष दूत श्याम सरन ने गुरुवार को यहां कहा कि विकसित देशों में वर्ष 2020 के लक्ष्य को लेकर कोई उत्साह नहीं है। विकसित देश दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषक हैं और उन्हें अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।

सरन ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत खर्च करता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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