भारत-चीन सीमा विवाद पर वार्ता अगले महीने
विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा ने गुरुवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, "भारत और चीन सीमा मसले का तटस्थ और परस्पर स्वीकार्य समाधान चाहते हैं। हमारे पास प्रारूप तैयार करने के लिए विशेष प्रतिनिधियों का तंत्र है। विशेष प्रतिनिधियों की बैठक अगले महीने होगी।"
उन्होंने कहा, "चीन के साथ हमारे दोस्ताना संबंध हैं। हम बहुपक्षीय गतिविधियां में शामिल हैं। व्यापार बढ़ रहा है और हम इसे जारी रखेंगे।"
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.नारायणन और चीन के स्टेट काउंसलर दाये बिंग्गाओ के बीच गत सितंबर में बीजिंग में 12वें दौर की वार्ता हुई थी।
भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध हुआ था और 2003 में उन्होंने राजनीतिक ढंग से इस मसले को सुलझाने के लिए 2003 में विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता शुरु की थी हालांकि अब तब इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका है।
भारत का आरोप है कि चीन ने जम्मू एवं कश्मीर के 43,180 वर्ग किलोमीटर इलाके पर अवैध तौर पर कब्जा कर रखा है। इसमें से 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीन ने 1963 में पाकिस्तान को सौंप दिया था। जबकि चीन भारत पर अपने 90,000 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा करने का आरोप लगाता है। इसका ज्यादातर हिस्सा अरुणाचल प्रदेश में है।
जून में चीन ने भारत को एशियाई विकास बैंक से मिलने वाला 2.9 अरब डॉलर का ऋण रुकवा दिया था क्योंकि इस राशि में से छह करोड़ डॉलर अरुणाचल की एक परियोजना पर खर्च किए जाने थे।
कृष्णा ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य अंग है। वह भारत को मिलने वाले ऋण के रोके जाने संबंधी प्रश्न जवाब दे रहे थे। भारत ने बैंक को स्पष्ट कर दिया है कि यह चीन की कार्रवाई सीधे तौर पर बैंक के संविधान का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश पर देश के दावे को पुख्ता करने के लिए हाल ही में राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने राज्य का दौरा किया था। उन्होंने कहो , "मैं भी जल्द ही अरुणाचल प्रदेश जाना चाहता हूं।"
कृष्णा हालांकि जानेमाने वकील राम जेठमलानी इस प्रश्न का जवाब टाल गए कि क्या भारत चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए संविधान में सुझाए गए रास्ते का अनुसरण करेगी या नहीं।
कृष्णा ने कहा, "एशियाई विकास बैंक को ठोस ढंग से कह दिया गया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य अंग है और इस बारे में चर्चा नहीं हो सकती।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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